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Showing posts from January, 2012
गंगा में कीड़े मैं कुछ दिन उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में रहा। संगम स्नान के लिए गया, लेकिन वहां  गंगा  की दशा देख काफी दुखी हुआ।  वहां  का पानी काफी  गंदा था और उसमें कीड़े रेंग रहे  थे।  मैंने इस दशा के बारे में लोगों से पूछा तो बताया कि इलाहाबाद महानगर की गंदगी भरे सभी नालों का पानी गंगा में डाला जा रहा है, जिससे गंगा की  दशा बद बदतर होती जा  रही है। लोग मान्यता के अनुसार संगम में स्नान के  लिए आस्था लेकर आते जरूर हैं, लेकिन इस दशा को देखकर बिना स्नान किए ही लौट जाते हैं। पिछले दिनों स्वीट्जरलैंड के एक राजनेता के आने की बाबत भी कुछ लोग कह रहे थे कि वह खुद जहां संगम में हिम्मत करके स्नान किए वहीं उनकी पत्नी ने गंगा की दशा पर दुख जताते हुए स्नान करने से मना कर दिया।  समय-समय पर सरकार की ओर से गंगा  को लेकर तमाम अभियान चलाए जाते हैं, लेकिन ऐसे में ये अभियान कभी सफल होंगे, इसकी उम्मीद करना ही बेकार है। मैं हरिद्वार में अक्सर जाता रहता हूं, वहां हर की पौड़ी पर स्नान करके जो असीम शांति मिलती है काश ‌इलाहाबाद के संगम में वह अनुभव हो पाता तो बहुत अच्छा लगता। 
शोक में डूबा लोकतंत्र उत्सव इन दिनों देश के पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब. गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। इस चुनावी दौर में न कहीं शोर-शराबा है और न ही कहीं झंडा बैनर दिखाई दे रहे हैं। वाहनों का भी कहीं पता नहीं चल रहा है। इस माहौल को देखकर लग रहा है कि लोकतंत्र का यह उत्सव शोक में डूबा हुआ है। मैं खुद जहां इन दिनों उत्तर प्रदेश के कई जिलों में घूमा वहीं पंजाब, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा के अपने साथियों से फोन आदि पर संपर्क होने पर वहां के हालात पता लग रहे हैं। चुनाव आयोग की सख्ती ने इस उत्सव को पूरी तरह फीका कर दिया है। प्रत्याशियों का पूरा ध्यान इस बात पर लगा है कि किस तरह आयोग की कार्रवाई से बचा जा सके।
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प्रेस परषिद के अध्यक्ष मार्कंडेय काटजू ने सही कहा जयपुर में एक व्याख्यानमाला को संबोधित करते हुए  भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष मार्कंडेय काटजू ने बिल्कुल सही कहा है कि गरीबी, बेकारी, स्वास्थ्य एवं शिक्षा से जुड़ी समस्याओं से ध्यान हटाने के लिए मीडिया अफीम का काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि धर्म, फिल्म और क्रिकेट की तरह मीडिया भी अफीम की तरह काम कर रहा है, लेकिन यह स्थिति ज्यादा चलने वाली नहीं है। फिल्मी सितारों की छोटी-मोटी हरकतों, हलचलों को मीडिया पहले पन्ने पर स्थान देता है, जबकि गरीबी के कारण मरने वाले किसानों पर उसका ध्यान नहीं जाता। हाल ही में हुए एक फैशन शो का जिक्र करते हुए काटजू ने कहा कि इस शो को 512 मान्यता प्राप्त पत्रकारों ने कवर किया, लेकिन इससे कुछ ही दूर रहने वाले किसानों तथा बुनकरों की बदहाली पर इन पत्रकारों का ध्यान नहीं गया। उन्होंने यह भी कहा कि आज गरीबी, बेकारी और चिकित्सा से जुड़ी कई समस्याएं हैं। चपरासी के एक पद के लिए हजार आवेदन आ जाते हैं। सरकारी अस्पतालों की दुर्दशा से परेशान मरीजों को झोला छाप डॉक्टर ठग रहे हैं, लेकिन मीडिया का ध्यान इसपर नहीं ज
रामदेव के मुंह पर कालिख योग शिक्षक बाबा रामदेव के मुंह पर दिल्ली में प्रेस कान्फ्रेंस के दौरान एक सिरफिरे द्वारा फेंकी गई कालिख की मैं निंदा करता हूं और ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करता हूं, जो सस्ती लोकप्रियता के लिए विशिष्ठ लोगों पर कभी जूता फेंक रहे हैं और कभी हमला कर रहे हैं। बाबा रामदेव का मैं मानता हूं दोहरा चरित्र है। वह भले ही कालेधन और भ्रष्टाचार को लेकर आंदोलन चला रहे हैं, लेकिन वह भी कालेधन और भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे हैं, परंतु इसके बाद भी प्रजातंत्र में सभी को अपनी बात करने का अधिकार है। आपको उनकी बात अच्छी नहीं लगती है तो उनको मत मानिए लेकिन आपको हमला या फिर कालिख फेंकने जैसे अपराध करने का किसने अधिकार दिया है। ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
सुश्री मायावती को जन्मदिन पर बधाई उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री एवं बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष सुश्री मायावती जी को उनके जन्मदिन पर मेरी ओर से हार्दिक बधाई। हमारे राजनीतिक मतभेद हो सकते हैं और रास्ते भी अलग-अलग, लेकिन मुझे इस बात की खुशी है कि डीएस4 के गठन से लेकर और बहुजन समाज पार्टी के शुरूआती दो चुनाव यानि 1989 तक  हमने साथ काम किया। मान्यवर कांशीराम जी का मुझे भी सानिध्य मिला, लेकिन कुछ राजनीतिक मतभेद के चलते हमने अपना अलग रास्ता चुना। इसके बावजूद खुशी है कि हम सभी अपने-अपने रास्ते से बाबा साहेब डा. भीमराव अंबेडकर के ‌मिशन समता मूलक समाज की स्थापना और समाज के अंतिम व्यक्ति को सम्मान के लिए काम कर रहे हैं। ईश्वरीय शक्ति से प्रार्थना करता हूं कि आपको लंबी आयु और स्वस्थ्य रखें ताकि बाबा साहेब का मिशन पूरा करने में आपका सहयोग अंबेडकरवादियों को मिलता रहे।  
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En Español Why is this happening? Will I have to inject insulin? Which symptoms should I watch for? What foods can I eat? What kind of exercise do I need? Where do I start? At the American Diabetes Association, we understand. Many of us had the same questions because many of us are living with diabetes ourselves. Join the Millions who are living with this disease - not just existing with it. Join Living With Type 2 Diabetes, a FREE program to help you or your family members learn to live with diabetes. This free program will send you information and support for 12 months at no cost to you. The program is available in both English and Spanish, and you can choose to receive the information online and by mail. If you'd prefer to sign up by phone, call 1-800-DIABETES (1-800-342-2383). Living with Type 2 Diabetes is a FREE 12-month program for people newly diagnosed with type 2 diabetes. Sign up and here
लोकतंत्र को मजबूत करें  देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव घोषित हो चुके हैं। इस दौरान मेरी सभी से अपील है कि लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए अच्छे ईमानदार और सुशिक्षित उम्मीदवारों को अपना वोट दें। अपराधियों और भ्रष्टाचारियों को कतई वोट न दें,  भले ही ये आपकी विचारधारा वाली किसी पार्टी के प्रत्याशी क्यों न हों। मतदान हर हाल में करें।
चुनाव में बेलगाम पुलिस इन दिनों देश के पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा में विधानसभा चुनाव कराए जा रहे हैं, जिसके लिए आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू है। इस आचार संहिता के नाम पर विशेष रूप से  उत्तर प्रदेश में पुलिस पूरी तरह बेलगाम होकर लोगों का उत्पीड़न कर रही है। लोग अपने साथ नगदी और जेवर ले जा रहे हैं, जिनको  स्रोत बताने के बावजूद जब्त किया जा रहा है। हद तो उस समय हो गई जब नोएडा में एक पेट्रोल पंप पर बिक्री के धन को बैंक में जमा करने से पहले थाने में एंट्री के नाम पर ले जाकर जब्त कर लिया। इस पूरे मामले की सीसी  कैमरे में कैद तस्वीरों को भी पुलिस झुठलाने की कोशिश कर रही है।  आखिर चुनाव आयोग की आदर्श आचार संहिता के नाम पर पुलिस उत्पीड़न और दमनात्मक कार्रवाई करके क्या दिखाना चाहती है? लोकतंत्र में इस तरह की जनता के साथ कार्रवाई तानाशाही का परिचय दे रही है, जिनकी  ‌हर स्तर पर निंदा की जानी चाहिए और उनका विरोध भी करना चाहिए। चुनाव आयोग को भी देखना चाहिए कि उसकी आचार संहिता के पालन के नाम पर कहीं बेलगाम पुलिस अपना धंधा ही शुरू न कर दे!