राजनीति में वंशवाद का नारा बेमायने --राजेन्द्र मौर्य---- देश के राष्ट्रपति रहे हैं ज्ञानी जैलसिंह। उनके पौत्र इंद्रजीत सिंह मेरे अच्छे मित्रों में हैं। राष्ट्रपति पद से हट जाने के बाद एक बार मैं ज्ञानी जी के पास बैठा था। मैंने उनसे पूछा कि क्या बात है, कि देश में अब हर चुनाव में गांधी-नेहरू परिवार को गैर कांग्रेसी दल राजनीति से बेदखल करने की बात करते हैं !, इसपर ज्ञानीजी ने बहुत ही सदा हुआ जवाब मुझे दिया कि ऐसा करने से किसी को कौन रोक रहा है, यह तो लोकतंत्र है जनता जब चाहे जिसको राजनीति से बाहर कर सकती है। लोग उनको वोट देना बंद कर दें, तो यह परिवार अपने आप बाहर हो जाएगा। इन दिनों लोकसभा चुनाव 2014 की तैयारी शुरू हो गई है। सभी दलों ने अपने-अपने तरीके से चुनीवी अभियान की शुरूआत कर दी है। चुनावी अभियान में एक बार फिर भाजपा अपने नए प्रत्याशी नरेंद्र मोदी को लेकर मैदान में उतरी है। नरेंद्र मोदी ने भारत को वंशवाद से मुक्ति के लिए कांग्रेस को हराने का आह्वान किया है, लेकिन उनको...
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Journalist Sidhwani honored in Haryana: हरियाणा मेल के ब्यूरो चीफ सचिन सिधवानी हुए सम्मानित
गरीब असहाय, प्रवासी मजदूरों की सेवा करना ही परम जिम्मेदारी: सिधवानी पानीपत (हरयिणा) । पानीपत की अग्रणी सामाजिक संस्था गरीब निवास जन सेवा फाउंडेशन कोरोना योद्धा के रूप में पत्रकार सचिन सिधवानी समेत कई पत्रकारों को सम्मानित किया। पानीपत में सनोली रोड स्थित गरीब निवास जन सेवा फाउंडेशन (रजि0) के कार्यालय में फाउंडेशन के जिलाध्यक्ष सागर सैनी की अध्यक्षता में एक बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें कई पत्रकार अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। इस अवसर पर हिंदी दैनिक हरियाणा मेल के ब्यूरो चीफ पत्रकार सचिन सिधवानी, दैनिक सच कहूं से सन्नी कथूरिया, सुल्तान ए हरियाणा न्यूज़ से विक्रम कालरा को फाउंडेशन ने सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया। ताकि ऐसे कोरोना वीर योद्धा पत्रकार भविष्य में भी इसी तरह से पूरी ईमानदारी के साथ अपने पत्रकारिता के क्षेत्र में हमेशा बढ़ चढ़कर सदैव अग्रसर रहे और सफलता हासिल करें। बैठक में गरीब निवास जन सेवा फाउंडेशन के चेयरमैन आकाश सैनी, जिलाध्यक्ष सागर सदस्य मोहित ने सामूहिक रूप से कहा कि लॉकडाउन के दौरान शहर के पत्रकार जो समय-समय पर पूरे शहर को ...
हनुमानजी की जाति ?
मुबाहिसा : राजेन्द्र मौर्य हनुमानजी की जाति बताना और उसपर सवाल उठाना कतई गलत है। आखिर कब राजनीति में जाति और धर्म का घालमेल बंद होगा। हम प्राणी हैं, इंसान ने अपनी सोच के मुताबिक जाति और धर्म में बांट दिया, जिसको राजनीति पोषित करने का काम कर रही है। इसके विपरीत मैं देखता हूं कि कई देशों के मूल धर्म समाप्ति की ओर हैं और उनके धर्मस्थल वीरान हो रहे हैं, लोग स्वेच्छा से दूसरे धर्म अपना रहे हैं। कई धर्म स्थलों के बिक जाने के भी उदाहरण सामने आ रहे हैं। पर इससे संबंधित देश की सरकार को कोई मतलब नहीं है। मैंने देखा एक देश में हमारे भारतीय गणपति भगवान की पालकी चर्च में लेकर गए तो वहां न केवल चर्च के पादरी ने स्वागत किया बल्कि मौजूद ईसाइयों ने भी पूजा-पाठ में शामिल होकर सभी को भोजन कराया। इससे कहीं भी दोनों धर्मों के लोगों की अपने धर्म के प्रति आस्था में कमी नहीं आती, बल्कि आपस में प्यार और सद्भाव बढ़ता है, जो एक-दूसरे के साथ रहने की ताकत बनता है। जब मैं अपने देश की सरका...
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