कोरोना लॉकडाउन : पत्रकारों को भी मिले आर्थिक मदद, प्रधानमंत्री से की मांग


कोरोना वायरस की महामारी के भय से पूरे देश में लॉकडाउन होने से ग़रीब और मध्यम वर्ग के लोगों के सामने भूख और आर्थिक संकट की समस्या खड़ी हो गयी है। ऐसे में केंद्र सरकार के साथ-साथ सभी राज्य सरकारें लोगों की मदद करने में जुटी हैं। लेकिन जो लोग अपनी जान की परवाह किए बगैर जनसेवा में जुटे हैं, उनकी मदद का ख़याल किसी को नहीं आ रहा है। इनमें स्वतंत्र पत्रकार और छोटे व मध्यम संस्थानों के मीडिकर्मी काफ़ी तंगहाली से गुज़र रहे हैं। ऐसे में मीडियाकर्मियों की आवाज़ को वरिष्ठ पत्रकार एवं दिल्ली जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन के महासचिव के.पी. मलिक ने उठाया है।
के.पी. मलिक ने एक प्रार्थना पत्र के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ध्यान छोटे, मध्यम संस्थानों के मीडियाकर्मियों और स्वतंत्र पत्रकारों की आर्थिक हालत की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए माँग की है कि सरकार देश सेवा में लगे इन लोगों की भी मदद करे। 
डॉक्टरों, प्रशासन के साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर चल रहे मीडियाकर्मी  ! 
मलिक ने मीडिया को इस बाबत बताया कि कोरोना वायरस के मद्देनज़र माननीय भारत सरकार द्वारा लॉकडाउन अभियान का पूरा देश पालन कर रहा है। ऐसे में सहयोग की भावना से समूचे देश सहित राजधानी दिल्ली में भी कोरोना से लड़ाई में डॉक्टरों, चिकित्साकर्मियों, पुलिस, प्रशासन के साथ ही मीडियाकर्मी भी कंधे-से-कंधा मिलाकर चल रहे हैं|
पत्रकारिता के साथ-साथ वोलिंटियर का कार्य भी कर रहे !                   और कोरोना से बचाव के तरीक़े तथा संक्रमण की जानकारियाँ लोगों तक पहुँचाते हुए पत्रकारिता के साथ-साथ वोलिंटियर का कार्य भी सफलतापूर्वक कर रहे हैं। इस समय न्यूज़ चैनल और बड़े समाचार पत्रों के पत्रकारों और इस पेशे से जुड़े अन्य कर्मियों को इतनी तकलीफ़ और परेशानी नहीं है, जितनी कि छोटे, मझोले और स्वतंत्र पत्रकारों को है। हमेशा तंगहाली में गुज़र करने वाले यह लोग आज आर्थिक परेशानी से जूझ रहे हैं। लेकिन इसके बावजूद भी अपने कर्तव्यपालन में जुटे हुए हैं। 
सोशल मीडिया और वेबसाइट वाले श्रमजीवी पत्रकारों की हालत ख़राब !


मलिक ने कहा है कि लोगों को सचेत करने वाले छोटे और मझोले समाचार पत्रों एवं मीडिया संस्थानों के मालिक इस विकट परिस्थिति में अपने कर्मचारियों को वेतन देने में असमर्थ दिखाई पड़ रहे हैं। स्वतंत्र पत्रकारों को भी इस समय और भी मुश्किलें आ रही हैं। इसके अलावा इस डिजिटल युग में सोशल मीडिया और वेबसाइट पर समाचार उपलब्ध कराने कराने वाले श्रमजीवी पत्रकारों की आर्थिक स्थिति बहुत ख़राब है।
अपील : स्वतंत्र पत्रकारों की आर्थिक स्थिति के विषय में करें विचार !
मालिक ने 'दिल्ली जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन' (डीजीए), जो कि नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट (इंडिया) से सम्बद्ध संस्था है, के माध्यम से प्रधानमंत्री से अनुरोध करते हुए यह अपील करी है कि, छोटे मीडिया संस्थानों, पत्रकारों और स्वतंत्र पत्रकारों की आर्थिक स्थिति के विषय में विचार करें। इससे न केवल इस क्षेत्र में लगे मीडियाकर्मियों को राहत मिलेगी, बल्कि उनको और उनके परिवार को भी आर्थिक सहायता मिल सकेगी।

Comments

Popular posts from this blog

हिंदुओं का गुरु-मुसलमानों का पीर...Guru of Hindus, Pir of Muslims

हनुमानजी की जाति ?

Mediapersons oppose Modi Govt’s. labour law