ईयर ऑफ गांधी इन यूएसए में सुब्बाराव पहुँचे

वैश्विक स्तर पर यह वर्ष बा-बापू 150 वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है । अमेरिका में भी इसकी गतिविधियों की सरगर्मी है । प्रसिद्ध गांधीवादी तथा अग्रणी शांति सैनिक डॉ एस. एन. सुब्बाराव जी की इस वर्ष नियमित 36वीं अमेरिका यात्रा थी परन्तु यहां इस वर्ष के महत्व को देखते हुए इसका अपना अलग आकर्षण रहा । वे पिछले एक माह से भी ज्यादा समय से यहां हैं । इस देश का ऐसा कोई छोर नहीं जहां  यह 91वर्षीय संत शांति सैनिक नहीं पहुंच रहा हो । अमेरिका में एक स्थान से दूसरे पर पहुंचने के लिए दो से आठ घण्टे तक असुविधाजनक थकावट भरी हवाई यात्रा करनी पड़ती है पर यह तो भाई जी ही हैं, जो इन्हें सहजता से प्रसन्नता पूर्वक करते हैं । वे जहाँ भी जाते हैं, वहीं अपनापन बिखेरते हैं तथा हर कोई उन्हें अपना ज्यादा नजदीक महसूस करता है ।
    वे 28 जुलाई को लांस एंजल्स पधारे और फिर आसपास सेंटियागो, सेनफ्रांसिस्को , सेनेह  रुक कर लोगों से संवाद करते हुए उत्तर कैफ़ेल के पीएर्स कस्बा में एक सप्ताह भर चलने वाले गांधी कैम्प का संचालन किया । इस रिहायशी कैम्प में 50 युवाओं सहित लगभग 20 सहायकों ने भाग लिया । प्रतिदिन यहां की शुरुआत सर्वधर्म प्रार्थना , योगाभ्यास, ध्यान व श्रमदान से होती और फिर ये शिविरार्थी  जय जगत ,विश्वशांति तथा सर्वधर्म समभाव के पाठ को भाई जी जैसे अनुभवी व सर्वाधिक  योग्य शिक्षक से पढ़ते ,समझते व गुनते । अमेरिका जैसे देश में शाकाहारी, साधारण वेशभूषा तथा सामान्य ढंग से रहने वाले युवाओं का यह अविस्मरणीय अनुभव रहा होगा । कैम्प के अंत में विभिन्न आयु वर्ग के बच्चों ने "गांधी जैसा उन्होंने समझा व जाना" की निबन्ध प्रतियोगिता भी हुई, जिसमें गांधी जीवन व विचार पर उनके लेख एक से बढ़ कर एक थे । इस अविस्मरणीय कैम्प के बाद वे दो दिन के लिए सीएटल भी पधारे । यद्यपि यहाँ का निमंत्रण उन्हें अनेक बार मिला था परन्तु यह उनकी पहली यात्रा थी । मेरे प्रति भाई जी का स्नेह इसका आकर्षण रहा ।
     11 अगस्त को उन्होंने मिलपिट्स में स्थानीय भारतीयों के द्वारा भारतीय स्वतंत्रता दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया । इस समारोह की विशेषता यह रही कि जहाँ इसमें रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम थे, वहीं महात्मा गांधी विचार व दर्शन  पर भाई जी का व्याख्यान भी था। अमेरिका के डिपॉइड मेसकेंन, डेट्रॉएट, लैंसिंग, शिकागो, न्यू जर्सी तथा अन्य छोटे बड़े नगरों में गांधी-150 विषय पर, अनेक कार्यक्रमों में उनके सन्देश देने का क्रम जारी है तथा अब वे कनाडा के टोरंटो व एडमोंटों नगर की तरफ बढ़ रहे हैं। उनके द्वारा स्थापित संगठन राष्ट्रीय युवा परियोजना उनके मार्गदर्शन प्रेरणा व नेतृत्व में जिस तरह से विश्वव्यापी स्तर पर काम कर रहा है  वह प्रशंसनीय है।
    अमेरिका में भी भारत के पूर्व कानून मंत्री व प्रसिद्ध विधिवेत्ता श्री शांति भूषण जी के सुपुत्र श्री अभय भूषण जी व उनके सभी साथी, गांधी विचार के प्रचार -प्रसार का महत्वपूर्ण काम कर रहे है। भाई जी के एक अनन्य निष्ठावान शिष्य श्री बाला मूर्ति जी ने भी अनेक बैठकों का सफल आयोजन किया है। भारत और अमेरिका में "राष्ट्रीय युवा परियोजना" इस कड़ी में और अधिक काम कर पाएगी, ऐसी हम सभी की उनके प्रति शुभकामनाएं हैं।
"भाई जी की कामना, सद्भावना-सद्भावना" ।

वाशिंगटन (युएसए) से  राम मोहन राय की कलम से साभार।

Comments

Popular posts from this blog

mirror of society : समाज का आईना है "फीका लड्डू"