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Showing posts from August, 2020

Rahul & yogi : राहुल के और योगी के बहनोई

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 राहुल के और योगी के बहनोई ! के. विक्रम राव यह गाथा है दो जीजाओं की| एक सम्पन्न, समर्थ, पर बैठा-ठाला| दूसरा है विपन्न, मेहनतकश, धरती पर टिका, मगर औसत| इन दोनों व्यक्तियों की निजी मर्यादा पर ही आधारित है उनके पारिवारिक व्यवहार की शुचिता| यही अब मुद्दा भी है| उसके सन्दर्भ में उपजता है गत सप्ताह के कांग्रेसी विद्रोह का जिक्र जो अब चर्चा का विषय है| उसी पर गौर कर लें| राजनैतिक बवंडर न उठता अगर जनाब नबी भाई, जो गुलाम हैं, साथ में आजाद भी हैं, कोई बयानबाजी न करते, सोनिया को धमकाते नहीं| उन्होंने ऐसा किया, क्योंकि कारूं के खजाने की कुंजी जो गुम हो रही थी| उनके बाईसों बांकों की टीस उठी, पीड़ा हुई| मगर विलम्ब हो चुका था| दशकों से जी हुजूरी की लत जो पड़ गयी थी|  इस बार सबला की तगड़ी लताड़ न पड़ती तो यह टेव व्यसन बन चुकी होती| ये सोनिया-कांग्रेसीजन शायद भूल गए जब भारत का (14-15 अगस्त मध्यरात्रि, 1947) “नियति से सामना” हुआ था| किन्तु वे अनभिज्ञ रहे तब सड़कों पर दीवाने जनसूत्र गुंजा रहे थे “नया जमाना आयेगा, कमानेवाला खायेगा|” आधुनिक त्रासदी है कि अब यह नारा पुराना पड़ गया, इसके मायने भी जंग खा गए| उसका सू

IFWJ demànd for Revising the Wages

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IFWJ Asks for Tripartite ‘Technical Committee’ as Envisaged in the ‘Code of Wages’ for Revising the Wages of Journalists New Delhi : Indian Federation of Working Journalist (IFWJ) has demanded to the Government of India that the 'Technical Committee' as envisaged by the Code on Wages must be tripartite to have the representatives from among the journalist organisations. It has, however, welcomed to the proposal of setting up of the Technical Committee, which will replace the constitution of Wage Boards, at the interval of every five years to revise the wages and allowances of the working journalists. In a statement, the IFWJ President BV Mallikarjunaih and Secretary-General Parmanand Pandey have said that journalists should be treated as ‘knowledge workers’ as no other profession is comparable to their job. Therefore, in no case, their hours of work should be more than 144 in a month. It is on the persistent demand of the IFWJ, that the Government has decided to expand the defi

Security of journalist : यूपी में पत्रकारों की सुरक्षा की गारंटी ले सरकार : अनिल रायल

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 पत्रकारों की सुरक्षा की गारंटी ले सरकार: अनिल रायल मीडिया सैन्टर के पदाधिकारियों ने डीएम को सौंपा मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन  यूपी के मुजफ्फरनगर में पत्रकारो पर हो रहे हमलों व अभी हाल ही में बलिया के पत्रकार रतन सिंह व गाजियाबाद में भी एक पत्रकार की हत्या के विरोध में मीडिया सैन्टर के बैनर तले पत्रकारो का एक प्रतिनिधि मण्डल अध्यक्ष अनिल रॉयल के नेतृत्व मेें जिलाधिकारी से मिला तथा मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन उन्हे सौंपा। इस ज्ञापन के माध्यम से कहा गया कि प्रदेश में पत्रकारो पर लगातार हो रहे हमलो व गत दिनो पत्रकार की निर्मम हत्या से प्रदेश ही नही देश भर के पत्रकारो मे रोष व्याप्त है। मीडियाकर्मी अपनी सुरक्षा के प्रति बेहद चिन्तित है। बलिया में हाल ही में एक पत्रकार को गोली का शिकार बनाया गया है  जबकि इससे पहले गाजियाबाद में सरेआम कुछ हत्यारों ने पत्रकार की गोली मारकर हत्या कर दी थी। पत्रकारों पर हो रहे लगातार हमलों से पत्रकारों पर असुरक्षा के बादल मंडराने लगे हैं। ऐसे हालातो में पुलिस प्रशासन द्वारा पत्रकारों के प्रति जो बर्ताव किया जाता है वह भी निश्चित ही चिंता को बढ़ाता है। मीडिया सैन

Ganesh Working Journalist : एक श्रमजीवी पत्रकार

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 गणेश : एक श्रमजीवी पत्रकार के.विक्रम राव अगर इतिहासकार अलबरूनी की बात स्वीकारें तो श्रेष्ठतम सम्पादक हैं गणेश। इसे वेदव्यास ने भी प्रमाणित किया था। वर्तनी, लेखनी, प्रवाह और त्रुटिहीनता की कसौटी पर गणेश खरे उतरते है। इस पूरी गणेशकथा में हम श्रमजीवी पत्रकारों के लिये रूचिकर वाकया यह है कि गणेश सर्वप्रथम लेखक और उपसम्पादक हैं। यूं तो देवर्षि नारद को प्रथम घुमन्तू संवाददाता और संजय को सर्वप्रथम टीवी एंकर कहा जा सकता है, मगर गणेश का रिपोर्ताज में योगदान अनूठा है। मध्येशियाई इतिहासकार, गणितज्ञ, चिन्तक और लेखक अल बरूनी ने एक हजार वर्ष पूर्व लिखा था कि वेद व्यास ने ब्रह्मा से आग्रह किया था कि किसी को तलाशे जो उनसे महाभारत का इमला ले सके। ब्रह्मा ने हाथीमुखवाले गणेश को नियुक्त किया। वेदव्यास की शर्त यह थी कि गणेश लिखते वक्त रुकेंगे नहीं और वही लिखेंगेगे जो वे समझ पायेंगे। इससे गणेश सोचते हुए, समझते हुये लिखते रहे और व्यास भी बीच-बीच में विश्राम करते रहे। (एडवार्ड सी.सचान, अलबरूनीज इंडिया, मुद्रक एस. चान्द, दिल्ली, 1964, भाग एक, पृष्ट 134)। अब एक आधुनिक पहलू पर गौर करें। एडोल्फ हिटलर ने अपनी

Ek Awaaz for justice : फ्लैट होल्डर्स के साथ धोखाधड़ी, आरोपियों पर सख्त कार्रवाई क्यों नहीं ?

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फ्लैट होल्डर्स के साथ धोखाधड़ी, आरोपियों पर सख्त कार्रवाई क्यों नहीं ?  क्या सुप्रीम कोर्ट लेगा इसका स्वत संज्ञान ?  डॉ. पुष्पलता  अगर कोई  भारत के किसी व्यक्ति को ये कहता है तू भ्रष्ट है, घटिया है तो भारत कतई घटिया या भ्रष्ट नहीं होता ! ठीक इसी तरह जब किसी  जज या वकील को भ्रष्ट कहा जाता है,  तो अदालत भ्रष्ट नहीं हो जाती और न ही अदालत की अवमानना मानी जा सकती है। फिर कुछ जज ऐसे कृत्य कर क्यों रहे हैं कि उनपर उँगली उठ रही हैं,  सम्मान नहीं हो रहा है ? वे अपना सम्मान बरकरार क्यों नहीं रख पा रहे ? अदालत कभी  भ्रष्ट  नहीं हो सकती और कोई भी व्यक्ति जीवन भर ईमानदार होने के बावजूद कभी बेईमान हो सकता है!    अब कोई कहे गोगोई का सम्मान करें क्या वो सम्मान करने लायक  बचे हैं ? खुद की गरिमा जज  खुद गिरा रहे हैं फिर कहा जा रहा है कि माफी मांगो, मानहानि हो गई। ये भी ध्यान रहे उंगली उठाने वाले उसी वर्ग से हैं।लोग त्राहिमाम कर रहे हैं उनकी। जान, धन, सम्मान, स्वास्थ्य, शिक्षा, व्यवसाय की  हानि हो रही है। पर्यावरण की हानि हो रही है,लोग बाढ़ और नालों में डूबे पड़े हैं। सब निजीकरण और निजी  हो रहा है, सब गलत

Poetry : अरे बाबुल

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 अरे बाबुल काहे को ले मेरा पाप अरे बाबुल काहे को मारे बोझा नहीं हूँ मैं आज अरी मैया काहे को मारे       गोदी में चढ़ तेरा चेहरा दुलारूँगी       होकर बढ़ी तेरा घर में संवारूंगी लाठी ,बनूँगी चिराग अरे बाबुल काहे को मारे        बाँटूँगी न तेरे महल दुमहले         धुलवा के मैं तेरे मुंह हाथ मैले ताजा मैं परसूँगी भात अरे बाबुल काहे को मारे       चहकूँगी आँगन की सोन चिरैया हूँ       खूंटे की मैं तेरे वो काली गैया हूँ  खा ऊँ दिया तेरे हाथ अरे बाबुल काहे को मारे       भैया जो छोड़ेगा मैं ही सहारूँगी       मैं तेरी तुलसी हूँ दुखों से तारूँगी तेरे बुढ़ापे की लाज अरे बाबुल काहे को मारे       टप टप तेरा वंश आँखों से बरसा तो        शव तेरा  अपनो  के  कांधे को तरसा तो  मैं ही लगा दूंगी दाग अरे बाबुल काहे को मारे डॉ पुष्पलता  मुजफ्फरनगर

Poetry : बेटी पानी की पाती....

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 बेटी पानी की पाती है ,अश्कों में घुल ढल जाती है   जल कमलों से पैरों वाली, पग- पग आशीष बिछाती है   ये शक्ति कल्याणी जैसे, पहने चूनर धानी जैसे  हो   धरती की रानी जैसे ,ले चेहरा नूरानी  जैसे   आकाश से उतरी हुई परी ,गंगा लेकर पानी जैसे   ओरों की प्यास बुझा कर के, रेती पर दोड़ लगाती है।  जल कमलों से पैरों वाली, पग - पग आशीष बिछाती है  बेटी पानी की पाती  है, अश्कों में घुल ढल जाती है  सांसो में लेकर लहरा सा ,पा तट बंधों पर पहरा सा  है संगीतों में ढली हुई ,छल -छल बजती इकतारा सा  चट्टानों से लेती राहें, ये संघर्षों  की थाती है  है मर्यादा की देवी ये, मुश्किल से बाढ़  बहाती है । जल कमलों से पैरों वाली, पग पग आशीष बिछाती है  बेटी पानी की पाती है ,अश्कों में घुल ढल जाती है  जल देकर सूरज  भाई को ,हर्षाती  है अंगनाई को  जब धरती से दुखड़ा बांटे ,वो भी सोचे रुसवाई को  शिव के केशों से बंधी हुई ,विष्णु का मान बढाती है  अपनी नियति से उलझ सुलझ, मिट- मिट जीवन दे जाती है । जल कमलों से पैरों वाली ,पग- पग आशीष बिछाती है   बेटी पानी की पाती है ,अश्कों में घुल ढल जाती है  ये खेत कपास का प्यारा सा ,हर बूँद फूल  उ

Karnataka : सिपाही की उपेक्षा ? जीत चुके जंग फिर !

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सिपाही की उपेक्षा ? जीत चुके जंग फिर ! के. विक्रम राव  यह मुद्दा कांग्रेस पार्टी के शीर्ष राष्ट्रीय नेतृत्व द्वारा जनपद-स्तरीय कार्यकर्ता से लगाव, जुड़ाव का है| गत बुधवार (12 अगस्त 2020) को बंगलूरू की कावल बाइरासंद्रा बस्ती में कट्टर इस्लामी संगठन “सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ़ इंडिया” के सैकड़ों सशस्त्र दंगाइयों ने एक दलित कांग्रेसी विधायक अखण्ड श्रीनिवास मूर्ति के मकान पर हमला किया| सब जला दिया| टीवी, मेज, कुर्सी, पलंग, रसोई आदि देखते-देखते सब ख़ाक हो गए| विधायक घर से बाहर थे अतः उनकी चिता नहीं जली|  कारण यह था कि उनके भांजे 35-वर्षीय पी. नवीन ने फेसबुक पर कोई पोस्ट डाला था जो पैगम्बरे इस्लाम हजरत मोहम्मद, हुजूरे अकरम, सल्लल्लाहु अलैह वसल्लम पर आपत्तिजनक था| नतीजन कांग्रेसी पार्षद इरशाद बेगम के पति और प्रमुख पार्टी अगुवा कलीम पाशा ने भीड़ जमा की| नारा-ए-तदबीर लगाकर धावा बोल दिया| कलीम पाशा पूर्व कांग्रेसी मंत्री के. जोसेफ़ जॉर्ज के गाढ़े साथी हैं| बंगलूर महानगर में वे काफी रसूखदार राजनेता हैं| इस पूरे काण्ड पर पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौडा ने भाजपायी मुख्य मंत्री वाई.एस. येद्दीयूरप्पा से

Seventh speech of PM Narendra Modi on Red fort : मोदी सातवीं बार निभाना लालकिला की प्राचीर से

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 मोदी सातवीं बार लालकिला की प्राचीर से के. विक्रम राव बहुत बदले हैं नरेंद्र मोदी, राजनीतिक आकार में, निजी प्रभाव में, वैश्विक व्यापकता में और कीर्ति में| कल तक अमरीका उन्हें वीजा नहीं दे रहा था| आज राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प चलकर उनके जिले में आये| कल दो लाख वर्ग किलोमीटर की भूमि के मुख्यमंत्री पद से उन्हें बर्खास्त किया जा रहा था| अब वे तैंतीस लाख वर्गकिलोमीटर भूमि के प्रधानमंत्री दुबारा बन गए|  सोमनाथ से अयोध्या रथ से आने के बीच बिहार के जेल में डाले गए| आज वे अयोध्या में भव्य मन्दिर का शिलान्यास कर आये हैं |  मोदी के खौफ से आक्रामक विस्तारवादी लाल चीन आज भारतीय जमीन से हट रहा है| सरकार को अपनी तर्जनी से संचालित करने वाली सोनिया गाँधी, अब मोदी के साठ  प्रतिशत लोकसभाइयों की तुलना में सदन की दस प्रतिशत भी नहीं रहीं| मोदी का आकार ही नहीं उनके राजबल का भी विस्फोट हुआ है| विश्लेषक और दर्शक आज बेझिझक यह तो मानेंगे ही कि बहत्तर वर्षीय बूढ़े भारत में आज नवयौवन का संचार तो हुआ है| भले ही अगले माह (15 सितम्बर) उसके प्रधान मंत्री सत्तर साल के हो जायें| सोमनाथ से अयोध्या तक में मात्र सारथी रहे नरे

Corona positive without semple : बिना सैंपल ही बता दिया कोराना पॉजिटिव

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Happy Independence day : स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

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Janvadi : जनवादी ? या वहशी !

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 जनवादी ? या वहशी ! के. विक्रम राव  चीनपरस्त भारतीयजन, खासकर मार्क्सवादी-कम्युनिस्टों से, यह प्रश्न है| जनवादी हक़, मानव-सहज गरिमा और सोचने तथा बोलने की आजादी की गणना वैश्विक मानव अधिकारों में की जाती है| उन्हें किसी राष्ट्र के भूगोल में सीमित नहीं किया जा सकता है| मानव और मानव के बीच विषमता करना अमान्य है| चिन्तक कार्ल मार्क्स की उद्घोषणा भी थी कि “दुनिया के मजदूरों एक हो|” अतः पड़ोसी लाल चीन में नागरिकों पर हो रहे अमानुषिक हिंसा पर दिल्ली में प्रतिरोध व प्रदर्शन न हो, नागवार लगता है| वियतनाम पर अमरीकी बमबारी तथा हंगरी में सोवियत टैंक द्वारा दमन पर भारत में जगह जगह विरोध, जुलूस निकाले गए थे|  इसीलिए पड़ोसी हांगकांग में चल रहे जनसंघर्ष के दौरान 71-वर्षीय मीडिया संपादक-स्वामी लाई ची यिंग (जिम्मी लाई) को रात ढले उनके शयनकक्ष से पकड़कर, उनकी बाहें मरोड़कर, पीठ पीछे ले जाकर हथकड़ी डालकर, गुमनाम हिरासत में ले जांए| फिर आजीवन कारावास की सजा हो जाये| जघन्य हिंसा ही तो है|  धरा पर कहीं भी अन्याय हो तो साम्यवादी तथा समाजवादी भर्त्सना में हमेशा आवाज उठाया करते थे|  अब सब कहां हैं ?  क्या अंधे हो गए, ग

HUMSAFAR : मेरे हमसफ़र

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Press: प्रेस काउंसिल भंग हो, मीडिया काउंसिल की स्थापना हो

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 प्रेस काउंसिल भंग हो, मीडिया काउंसिल की स्थापना हो नई दिल्ली : वर्किंग जर्नलिस्टस ऑफ इंडिया (संबंधित भारतीय मजदूर संघ) ने लघु एवम मध्यम समाचार पत्रों की समस्याओं को लेकर एक ऐतिहासिक वेबिनार का आयोजन किया। इसमें मुख्य माँगे :  प्रेस कौंसिल को तत्काल प्रभाव से भंग करके, उसके स्थान पर मीडिया कौंसिल की स्थापना की जाए।  प्रेस कौंसिल ऑफ इंडिया द्वारा जो समाचार पत्रों के प्रकाशकों से " लेवी " ली जा रही है, वह इस वर्ष न ली जाए  DAVP विभाग अखबार मालिकों से कोरोना कॉल के दौरान , जो मार्च से जुलाई तक के समाचार पत्रों की प्रतियां जमा करवाने के लिये कह रहा है, उस नोटिफिकेशन पर भी रोक लगाई जाए।  कोरोना कॉल के दौरान DAVP जो दो पालिसी लाया है, एक वेब की ओर दूसरी प्रिंट मीडिया की, उसपर रोक लगाई जाएगी मीडिया GST हटाई जाए इस कार्यक्रम में देश के कई सारे संगठनों के वरिष्ठ पदाधिकारी और पत्रकार जुड़े।  इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता भातीय मजदूर संघ के क्षेत्रीय संगठन मंत्री पवन कुमार ने कहा कि संघर्ष के बिना समाधान नही मिलता। संघर्ष और संवाद दोनो साथ साथ चलना चाहिए। उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि छोट

Journalist : दिल्ली पुलिस के खिलाफ पत्रकारों का प्रदर्शन

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 दिल्ली पुलिस के खिलाफ पत्रकारों का प्रदर्शन  दिल्ली। पुलिस मुख्यालय पार्लियामेंट स्ट्रीट पर पत्रकारों ने किया  दिल्ली पुलिस के खिलाफ धरना प्रदर्शन  28 जुलाई को पत्रकार  मोहम्मद यूसुफ को थानाध्यक्ष नन्द नगरी ने नन्द नगरी के इलाके में जबरन पकड़ लिया और उसकी बाइक व मीडिया कार्ड भी छीन लिया साथ साथ उसे नन्द नगरी थाने लेजाकर दुर्व्यवहार किया साथ साथ धमकी भी दी जिसकी शिकायत डीसीपी नार्थ ईस्ट को भी की गई लेकिन पुलिस द्वारा कोई भी कानूनी कार्यवाही नन्द नगरी थानाध्यक्ष के विरुद्ध नही की गई पत्रकार मोहम्मद यूसुफ को लगातार  नन्द नगरी पुलिस व उसके गुर्गो से धमकियां मिल रही थी जिसको पत्रकारों ने गंभीरता से लेते हुए प्रेस रिपोर्टर्स यूनियन के बैनर तले यूनियन अध्यक्ष श्री अजीत ठाकुर के नेतृत्व में आज दिल्ली पुलिस मुख्यालय संसद मार्ग पर धरना प्रदर्शन किया जिसमें अध्यक्ष अजीत ठाकुर , उपाध्यक्ष राजिंदर सिंह दयाल , महासचिव  मोहम्मद यूसुफ , हेमन्त शर्मा , मनोज शर्मा , सुनील , अशोक सीटू , आलम मंसूरी , बदर जहां , रहमान , कृष्णा , मुसर्रत , आकाश शर्मा , अमित , देव सिंह , इस्लाम खान , जामिलुदीन , आर के अजय , 

IFWJ & Ayodhya : आईडब्ल्यूजे और अयोध्या का मुद्दा

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IFWJ और अयोध्या का मुद्दा के. विक्रम राव आजाद भारत का तीव्रतम जनसंघर्ष (जन्मभूमि वाला) गत सप्ताह समाप्त हो गया| मगर चन्द मुजाहिदीनों के लिए यह जिहाद अभी जारी है| असद्दुद्दीन ओवैसी ने कहा कि इस्लाम में मस्जिद हमेशा मस्जिद ही रहती है| यही बात हिन्द इमाम तंजीम के सदर साजिद रशीद कल बोले कि : “मंदिर तोड़कर मस्जिद फिर बनाई जाएगी|” कई मुसलमानों ने तो इस्ताम्बुल के हाजिया संग्रहालय का उदाहरण दे डाला, जो 86 वर्षों बाद गत माह फिर इबादतगाह बन गयी|  फिलवक्त विषय यह है कि विगत सात दशकों में राष्ट्रीय मीडिया के एक विशेष और वृहद् हिस्से (कथित गंगा-जमुनी वाले) की अयोध्या पर भूमिका का निदान, समीक्षा होनी चाहिए| नैतिक पत्रकारिता का यह तकाजा है| पत्रकार पक्षधर नहीं होता| परन्तु सही और गलत को जानते हुए तटस्थ भी नहीं रह सकता| मकसद यही है कि वैचारिक छिछलापन, शाब्दिक उतावलापन, सोच का सतहीपन, इतिहास के प्रति अनपढ़ गंवारपन तथा नाफखोर मीडिया व्यापारियों आदि को दुबारा मौका न मिले| इसीलिए इस दौर की पत्रकारिता के रोल को परखना आवश्यक है|  भारतीय प्रेस काउंसिल के अध्यक्ष स्व. न्यायमूर्ति राजेंद्र सिंह सरकारिया द्वारा

Comedy Video : टीवी चैनल की क्लास

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Eid-ul-Adha : दिल हो ! दर्द न हो, तो ?

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दिल हो ! दर्द न हो, तो ? के. विक्रम राव  यह पोस्ट आज (1 अगस्त 2020) बकरीद के उपलक्ष्य पर है| मेरे जीवन की निजी घटना पर आधारित है| करीब तीन दशक पुरानी| विषय मानवीय संवेदनाओं से जुड़ा है| करुणावाली भावना के मुतल्लिक| मेरा कनिष्ठ पुत्र (तीसरी पीढ़ी का श्रमजीवी पत्रकार) बालक के. विश्वदेव राव एक शाम रुआंसा होकर मेरे सामने आया| अपने दुःख का कारण उसने बताया| बंदरियाबाग (लखनऊ) में अपनी माँ के रेलवे बंगले के अहाते में वह स्कूटर चला रहा था | तभी एक गिलहरी उसके अगले पहिये के नीचे दबकर मर गई| वह बोला कि “मैंने हैंडल घुमाकर उसे बचाने की भरसक कोशिश की| नहीं हो पाया| वह कुचल गई, मैं गिर पड़ा, चोटिल हो गया|” खैर, उसकी डॉक्टर माँ ने बेटे की मरहम पट्टी कर दी | पर मैंने उसे ढांढ़स बंधाया और कहा, “ तुम्हारा दोष नहीं है| ईश्वर निर्दोष मानकर तुम्हें जरूर माफ़ कर देगा|” आत्मपरिशीलन करने पर मुझे अपने पुत्र पर नाज हुआ| कान्वेंट में पढने के बावजूद उसके दिल में दया की भावना जीवंत है| दर्द की अनुभूति है| आखिर अल्लाह का भी असली नाम तो रहीम (महादयालु) ही है| श्रीराम चन्द्र के नाम “हरण भव भय दारुणम” के प्रारंभ में भी “कृ

Friends Day : मित्रता करण दुर्योधन

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आज मित्र दिवस है. जब जब यह दिन आता है या मित्रता कि बात होती है मुझे ये पंक्तियाँ याद आ जाती हैं. सचमुच, मित्रता हो तो कर्ण और दुर्योधन जैसी. देखिए जब कृष्ण ने कर्ण को बताया कि वे असल में पांडवों के भाई हैं और इसलिए कौरवों की ओर से युद्ध न करें तो कृष्ण को खरा जवाब मिला जो आज तक मित्रता की अनोखी मिसाल है. हम आप भी अपनी मित्रता को ज़रा परखें— "सच है मेरी है आस उसे, मुझ पर अटूट विश्वास उसे  हाँ सच है मेरे ही बल पर, ठाना है उसने महासमर  पर मैं कैसा पापी हूँगा? दुर्योधन को धोखा दूँगा?  "रह साथ सदा खेला खाया, सौभाग्य-सुयश उससे पाया  अब जब विपत्ति आने को है, घनघोर प्रलय छाने को है  तज उसे भाग यदि जाऊंगा, कायर, कृतघ्न कहलाऊँगा  "कोई भी कहीं न चूकेगा, सारा जग मुझ पर थूकेगा  तप त्याग शील, जप योग दान, मेरे होंगे मिट्टी समान  लोभी लालची कहाऊँगा किसको क्या मुख दिखलाऊँगा? "मैत्री की बड़ी सुखद छाया, शीतल हो जाती है काया, धिक्कार-योग्य होगा वह नर, जो पाकर भी ऐसा तरुवर, हो अलग खड़ा कटवाता है, खुद आप नहीं कट जाता है. "जिस नर की बाह गही मैने, जिस तरु की छाँह गहि मैने, उस पर न वा

Priyanka Gandhi #Video : प्रियंका गांधी ने सीपीडब्ल्यूडी को सौंपा आवास

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