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Showing posts from 2013
अब अन्ना की समझ में आ गया होगा कि अरविंद केजरीवाल ने लोकपाल को लेकर आंदोलन में उनको कायदे से इस्तेमाल किया है।
दिल्ली में केजरीवाल की आप को मिल रही सफलता ने भाजपा और कांग्रेस को आईना दिखाया है कि विकल्प अगर मिले तो, कहीं भी यह चमत्कार हो सकता है, जो प्रजातंत्र को मजबूती देगा। 
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अलविदा मंडेला अजीब इत्तेफाक है कि नेल्सन मंडेला ने अंतिम सांस भारत रत्न बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के परिनिर्वाण दिवस पर ली है। भले ही जाहिर तौर पर नेल्सन मंडेला को महात्मा गांधी के विचारों के अधिक नजदीक माना जाता हो, लेकिन  वर्ग भेदभाव का उनका संघर्ष बाबा साहेब डॉ. अंबेडकर के संघर्ष से अधिक मेल खाता है। मंडेला ने दक्षिण अफ्रीका में गौरे-काले के बीच भेदभाव और वर्ग संघर्ष में अगुवाई की और अपने जीवन के जहां 27 वर्ष जेल में गुजारे वहीं जीवन भर काले रंग वाले लोगों को सम्मान दिलाने के लिए तमाम कुर्बानी दी, जिसका सकारात्मक परिणाम ही माना जाएगा कि उनके संघर्ष से निकली आजादी और नए विचारों की लौ ने अमेरिका में बराक ओबामा जैसे काले रंग वाले व्यक्ति को भी रोशनी देने का काम किया। अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में बराक ओबामा ने साबित किया कि रंग या किसी भी वर्ग भेदभाव से किसी भी व्यक्तित्व को अपनी कार्य क्षमता साबित करने से नहीं रोका जा सकता है। किसी को भी बिना भेदभाव के समान अवसर मिले, तो वह निश्चित ही तरक्की और अपनी कार्यक्षमता के नए कीर्तिमान स्थापित कर सकता है।  बाब
आरुषि के मां-पिता की दलीलों को सुना जाना चाहिए ! आरुषि मर्डर मिस्ट्री में उसके मां-बाप को उम्रकैद की सजा सुना दी गई। इस बाबत राजेश तलवार के भाई दिनेश तलवार के तर्क मैने टीवी पर सुने, जिसको सुनकर मुझे लगता है कि कहीं न कहीं राजेश तलवार और नुपूर तलवार को इस मामले में सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट का विरोध करना ही महंगा पड़ गया है। मुझे एक बार का वाक्या याद आता है कि उत्तर प्रदेश में ही एक व्यापारी की हत्या हो गई थी। ‌उस हत्या के खुलासे और हत्यारों को पकड़ने के लिए व्यापारी का एक दोस्त काफी पैरवी कर रहा था। जब पुलिस हत्या का खुलासा करने में नाकाम हो रही थी और मृतक व्यापारी के दोस्त की पैरवी से परेशान थी तो पुलिस ने इस केस का खुलासा करते हुए निर्दोष दोस्त को ही कातिल बनाकर जेल भेज दिया। नतीजा यह हुआ कि उसको उम्रकैद हो गई और व्यापारी का परिवार नगर छोड़कर कई दूर दूसरे शहर में जाकर बस गया। उम्रकैद की सजा के करीब 10 वर्ष जेल में गुजारने के बाद शहर में चर्चा हुई कि हत्या तो शातिर अपराधियों ने अपनी मामूली कहासुनी होने की रंजिश में की थी, लेकिन तब तक व्यापारी के दोस्त का जीवन तबाह
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MERI BETI AVANTIKA MAURYA KE SATH USKE SHATHI
देश के गृह मन्त्री श्री सुशील  कुमार शिन्दे के लिए आप की चुनावी सभा में अपशब्दो की हर स्तर पर निंदा की जानी चाहिए चुनाव आयोग को आरोपियो के खिलाफ कार्यवाही करनी चाहिए
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थाई राजा की श्रद्धा को नमन  भगवान बुद्ध के महोबधि मंदिर की गुंबद को सोने से मढ़ाई के लिए मैं थाईलैंड के राजा को बधाई देता हूं। यह आस्था और श्रद्धा का मामला है उनकी भगवान बुद्ध के प्रति आस्था और श्रद्धा को मैं नमन करता हूं। हालांकि आस्था और श्रद्धा पर कोई सवाल नहीं उठाना चाहिए, लेकिन फिर भी इतना स्वर्ण या मुद्रा को मंदिर की गुंबद की मढ़ाई के लिए व्यय करना भगवान बुद्ध के विचार के अनुरूप कतई नहीं माना जा सकता है। भगवान बुद्ध ने तो यह सब त्यागा है और मूर्ति हो या इस तरह पूजा पाठ के नाम पर आडंबर को गलत माना है।  परंतु यह भी कटू सत्य है कि मानव स्वभाव अपनी आस्था और श्रद्धा को प्रकट करना होता है और भगवान या किसी महापुरुष के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए मूर्ति, प्रतिमा या फिर उनके नाम पर ‌कोई स्थल का निर्माण करना सबसे सुलभ जरिया है।  मैं थाईलैंड के राजा की श्रद्धा को नमन करते हुए बौद्धों से अपील करूंगा कि वे भगवान बु्द्ध के संदेश को पूरे देश में तेजी से फैलाने का काम करें।
मायावती का दलित विरोधी ढोल बसपा की अध्यक्ष मायावती जी जब भी मीडिया से बात करती हैं, उनकी शुरूआत में दलित विरोधी ढोल पीटना एक आदत बन गई है। उन्होंने कहा कि मान्यवर कांशीराम के प्रेरणा स्थल के बंगले और उनके भाई तथा उनकी संपत्ति को लेकर  जारी खबर पूरी तरह दलित विरोधी मानसिकता का प्रमाण है। कुछ हद तक उनका यह आरोप सच हो सकता है, लेकिन क्या उनको यह नहीं बताना चाहिए कि सत्ता में आने से पहले तक साधारण परिवार कैसे अरबोपति बन गया है? उनके और उनके परिजनों के नाम यह अकूत संपत्ति कहां से आ गई है? अब वह कांग्रेस को कोस रही हैं, तो फिर पिछले  9 वर्षों से कांग्रेस की सरकार को समर्थन देने का काम क्यों कर रही हैं? या फिर भोले-भाले दलितों को गुमराह करने के लिए ही उनको डॉ. अंबेडकर या फिर अब मान्यवर कांशीराम की याद आती है। वह 2007 में उत्तर प्रदेश के सभी वर्गों के सहयोग से पूर्ण बहुमत की मुख्यमंत्री बनी तो उनको लगा कि अब वह देश की प्रधानमंत्री बन जाएंगी, जिसके लिए उन्होंने और उनके कुछ खास चहेतों ने 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान खूब मुंगेरी लाल के हसीन सपने देखे भी और दलितों को दिखाए भी। लोकसभा का
राहुल गांधी ने ठीक कहा मुजफ्फरनगर दंगा पीड़ितों पर पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई की नजर संबंधी बयान मुजफ्फरनगर दंगे को लेकर छप रही तमाम खबरों के आधार पर दिया गया ङै। इस तरह की रिपोर्ट मुजफ्फरनगर के समाचार पत्रों में छप चुकी है। यह बात पूरी तरह सही है कि उत्तर प्रदेश में नरेंद्र मोदी के सखा अमित शाह दंगों के जरिए ही नरेंद्र मोदी की सफलता का सपना देख रहे हैं, जो कभी पूरा नहीं होगा।  
मंगलयान की सफलतापूर्वक उड़ान पर वैज्ञानिकों को बधाई ।

karnal daura

आज मैं हरियाणा के करनाल में समाज साक्षी समाचार पत्र के तीन वर्ष पूरे होने पर आयोजित समारोह में शामिल हुआ l  जिसमें मैंने मुख्य वक्ता के रूप में  पत्रकारिता के सामने चुनौती विषय पर विचार रखे l 

narendra modi bana bjp ka chehra

नरेन्द्र मोदी को चुनाव अभियान का चेयरमैन बनाने से एक बार फिर बीजेपी की  सांप्रदायिक छवि को सही साबित कर दिया है I अब जनता को भी सीधा मौका मिलेगा कि वह क्या तो  सांप्रदायिकता के मुद्दे को हमेशा के लिए समाप्त करने के लिए मोदी को जीता दें या फिर इनको हराने के लिए वोट दें .  अब यह बात भी साबित हो गई है कि अगला चुनाव भाजपा और गैर भाजपा के बीच होगा . गैर भाजपा दलों का नेतृतव  कांग्रेस ही करेगी .   
बाबा  साहेब डाक्टर आंबेडकर के जन्म दिवस पर सभी को हार्दिक बधाई l 
अन्ना अब तो होश में आओ   इन दिनों अन्ना हजारे जनतंत्र यात्रा पर हैं,   उनके साथ जनरल वी के सिंह भी है l उत्तर प्रदेश के  बागपत में उनको सुनने के लिए कोई नहीं पहुंचा तो बीमारी का बहाना बनाकर दिल्ली लौट आए l अब उनको समझ में आ  जाना चाहिए कि जनता ने उनको नकार दिया हैं l  
मुंबई से मोइन का सवाल   मेरी मुंबई में रेलवे स्टेशन से अपने मित्र के घर जाते  वक्त टैक्सी चालक मोइन से मुलाकात हुई, जिसकी पीड़ा सुनकर काफी दुखी हूं। उसका कहना था कि उसके दादा उत्तर प्रदेश के जिला प्रतापगढ़ से काम की तलाश में मुंबई आए थे। वह और उसके पिता की पैदाइश भी मुंबई की है, लेकिन उनको आज भी मुंबई का वासी नहीं माना जाता है। इसके लिए कौन जिम्मेदार है, इस सवाल का जवाब देते हुए मोइन भावुक होकर बोला-राजनीति। मोइन का कहना था कि हम तो यहां काम करने के लिए आए हैं, लेकिन अपनी राजनीति के लिए पहले बाला साहेब ठाकरे और अब राज ठाकरे उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों को महाराष्ट्र का दुश्मन और यहाँ की तरक्की का बाधक मानता है और इस विचार को आम मराठी के मन का विचार बनाने के लिए ही उनका पूरा  प्रयास रहता है। लोगों को उम्मीद थी कि उनके अपने प्रदेशों के नेता बनने पर उनको भी नई ताकत मिलेगी, लेकिन जो उनके नेता बने हैं वे भी राजनीतिक लाभ के लिए हमारे बाहरी प्रदेश वासी बने रहने को फायदे का सौदा  मानते हैं  ।  यह केवल एक मोइन का सवाल नहीं है, बल्कि मुंबई में दुसरे राज्यों से काम की त
आशीष नंदी ने आईना दिखाया ! प्रमुख समाजशास्त्री आशीष नंदी ने जयपुर साहित्य महोत्सव में कहा था कि ज्यादातर भ्रष्ट लोग पिछड़ी और दलित जातियों से आते हैं। उनके इस बयान को लेकर राजनीतिक हलकों में बवाल मचा हुआ है। राजस्थान के मीणा समाज के नेता राजपाल मीणा ने उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवा दी थी। महोत्सव परिसर के बाहर युवाओं का समूह, यह कौन है नंदी, जिसकी सोच है गंदी, स्लोगन वाले पोस्टर लेकर प्रदर्शन करते देखे गए। जयपुर के अंबेडकर चौक पर धरना भी दिया गया। दलित नेताओं ने आशीष नंदी को गिरफ्तार करने के लिए अल्टीमेटम भी दिए। जाट महासभा के अध्यक्ष राजाराम मील ने भी नंदी का मुंह काला करने की धमकी दी। यहां तक कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती, लोजपा अध्यक्ष रामविलास पासवान, आरपीआई नेता रामदास अठावले आदि सभी नेता नंदी के बयान को लेकर गुस्से में हैं।  यह निर्विवाद रूप से सही है कि आशीष नंदी को किसी भी एक वर्ग या किसी जाति विशेष पर भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगाना चाहिए था। चूंकि भ्रष्टाचार न तो किसी एक जाति तक सीमित है और न ही इसके लिए गरी
तो राहुल गांधी ही होंगे पहली पसंद ! पिछले वर्ष उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पूर्व मेरे दफ्तर में खबरिया चैनल के प्रमुख एंकर पूण्य प्रसून वाजपेयी आए थे। वह अपने चैनल के लिए लोगों से सीधे बातचीत के कार्यक्रम के लिए भ्रमण पर थे। मैंने उनसे पूछा कि उत्तर प्रदेश में किस की सरकार आ रही है, उनका तपाक से जवाब था कि इस बार भी मायावती की सरकार बनने जा रही है, जबकि मैं उनकी बात से इत्तेफाक नहीं करता था। मेरा मानना था कि इस बार मायावती सरकार नहीं बना पाएंगी और सपा के पक्ष में अधिक समर्थन जाता दिख रहा है। चुनाव परिणाम ने वाजपेयी जी को गलत साबित ‌किया।   इस समय कुछ चैनलों पर नील्सन के सर्वे को अपने से जोड़कर एक राजनीतिक सर्वे दिखाया जा रहा है, जिसमें प्रधानमंत्री के लिए देश के 49 फीसदी की पहली पसंद नरेंद्र मोदी को बताया जा रहा है। यह ही नहीं देश में एनडीए को भरपूर समर्थन के जरिए उसकी सरकार आती दिख रही है। ये सर्वे ‌कितने विश्वसनीय हैं, यह इसी बात से स्पष्ट होता है कि हर चुनाव में ये सर्वे झूठे साबित हो रहे हैं। कुछ हजार लोगों से बातचीत के आधार पर देश का फैसला सुनान