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Indira Gandhi : दुहरी त्रासदी थी इंदिरा गांधी की !

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दुहरी त्रासदी थी इंदिरा गांधी की !          दो राजनीतिक भूचाल साढ़े चार दशक पूर्व आज ही के दिन (बृहस्पतिवार, 12 जून 1975) उत्तर तथा पश्चिम भारत में आये थे। उससे दुनिया भी हिल गयी थी। मगर दिल्ली बिल्कुल ही बदल गयी थी। एक इलाहाबाद में हुआ तो दूसरा अहमदाबाद में। दोनों घटनास्थलों के बीच फासला है बारह सौ किलोमीटर का। संगम तट से साबरमती तट तक। मगर लोग इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा इंदिरा गांधी को भ्रष्टाचार का दोषी मानकर, उनका लोकसभा चुनाव (मार्च 1971) निरस्त कर देने को ही याद रखते हैं। छह वर्षों के लिये अयोग्य करार दी गयीं थीं। तब फिर क्या हुआ? भारत में सभी जानते हैं। आमजन बनाम इंदिरा         मगर अहमदाबाद वाली  घटना तो ''आमजन बनाम इंदिरा—कांग्रेस'' थी।  ज्यादा महत्व की थी। वह प्रधानमंत्री की निजी सियासी पराजय थी। पहली बार 1952 से प्रदेश विधानसभा में कांग्रेस पार्टी बहुमत नहीं पा पायी। इस ऐतिहासिक परिदृश्य का विवरण कम प्रसारित किया गया है। गुजरात के बाहर चर्चा भी कम ही हुयी है। जून 12 के दिन 1975 में गांधीनगर में जनता मोर्चा की सरकार बनीं थी। ...

Rajnath Singh`S BHABHAURA : ...जब राजनाथ से उनके बाल सखा ही मुश्किल से मिल पाए

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  ...जब राजनाथ से उनके बाल सखा ही मुश्किल से मिल पाए देश के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह यूं तो अपने व्यवहार और नपा तुला बोलने के ल‌िए लोकप्रिय माने जाते हैं, लेकिन इन दिनों उनका पैतृक गांव यूपी के चंदौली का भभौरा मीडिया में छा रहा है। वहां के ग्रामीणों और उनमें भी राजनाथ सिंह के बाल सखा शंभूनाथ की यह टिप्पणी "हम अभी भी 19वीं सदी में जी रहे हैं" काफी चर्चा का विषय बनी हुई है। उत्तर प्रदेश के लोकप्रिय शिक्षा मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक रहे राजनाथसिंह इन दिनों देश के रक्षामंत्री हैं और इससे पहले वह जहां गृहमंत्री रहे हैं वहीं केंद्र के कई मंत्रालयों का जिम्मा संभाल चुके हैं। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं। अब तो उनके सुपुत्र पंकज सिंह भी राजनीति में अपना वजूद बनाने के लिए निरंतर लगे हैं और दिल्ली से सटे नोएडा से विधायक और अगली बार लोकसभा के संभावित प्रत्याशी माने जा रहे हैं। ऐसे में उनके पैतृक गांव के लोगों और उनमें भी राजनाथ सिंह के बाल सखा यद‌ि गांव के भरपूर विकास की अपेक्षा रखते हैं, तो इसे जायज ही माना जाएगा। 2004 के बाद राजनाथ सिंह ...

Suprime court and Advocates : कटघरे में तो आए वकील साहिबान

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कटघरे में तो आए,  वकील साहबान !!       सर्वो च्च न्यायालय ने  गत सप्ताह वरिष्ठ वकीलों के जमीर को कचोटा। मसला था कि पैरवी हेतु मुकदमा स्वीकारने की बेला पर क्या जुड़े हुए पहलुओं पर वे गौर फरमाते हैं? याचिका के जनपक्ष पर सोचते हैं? हालांकि अभी वस्तुस्थिति यही है कि अर्थ ही प्रधान है, शुभलाभ ही मात्र प्रयोजन है? वकीलों द्वारा हिचकते उत्तरों के कारण उनकी सभी याचिकाएं खारिज हो गईं। यदि भारत की बार काउंसिल सदस्यों को अपने निर्मल मन की बात को मान कर नैतिकतापूर्ण फैसला करने पर सहमत करा लें तो राष्ट्र की न्यायप्रक्रिया सुघड़ होगी। उसमें लोकास्था मजबूत होगी। अन्याय के अंजाम में जनविप्लव की आशंका दूर होगी। वर्ना जनता की सहनशक्ति असीमित नहीं है। कुचले जाने के पूर्व चींटी भी डंक मार ही देती है।        मुद्दा कल (8 जून 2021) का सर्वोच्च न्यायालय की खण्डपीठ वाला है। न्यायमूर्ति द्वय इन्दिरा बनर्जी तथा मुक्तेश्वरनाथ रसिकलाल शाह की अदालत का है। बचाव पक्ष के वकील महोदय दो खाद्य व्यापारियों, प्रवर और विनीत गोयल (नीमच, मध्य प्रदेश), के लिए अग्रिम जमानत...

Media : मुमकिन माना मीडिया ने, नामुमकिन कर डाला योगी ने !!

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मुमकिन माना मीडिया ने, नामुमकिन कर डाला योगी ने !!         यूं तो हमारे व्यवसाय में फ़ेक (फर्जी) और पेइड (दाम चुकाई) न्यूज का प्रचलन अरसे से है। खासकर चुनाव के दौरान। अब ''प्लांटिंग''(रोपना) भी चालू है। इसीलिये हमलोग तो पसोपेश में उलझे रहते हैं कि पत्रकारिता आखिर है क्या? व्रत है या वृत्ति? मगर गत दिनों लखनऊ मीडिया जगत में हरित क्रान्ति विस्तीर्ण हो गयी। शायद वनमहोत्सव का पखवाड़ा था! मसलन, निपुण विप्रशिरोमणि, मगध से विदर्भ तक वास कर चुके, पंडित पुण्य प्रसून वाजपेयी ने छह अप्रैल को खबर चलायी कि ''पीएम ने सीएम को जन्मगांठ की शुभकामनायें नहीं भेजीं।'' हालांकि राजधानी के दैनिकों में मुखपृष्ठ पर तभी खबर साया हुयी थी कि भाजपा प्रधानमंत्री भाजपाई मुख्यमंत्री की लंबी आयु के इच्छुक हैं। अर्थात वह सहाफिये—आजम मृषाभाषी हो गये। पुण्यजी की सुकृति चर्चित हो गयी। अचरज का आधार यह है कि एक प्राचीन आम मान्य रिवाज इससे टूटा था। कोरोना काल का प्रोटोकाल तो ऐसा रचा नहीं गया है कि ''हैप्पी बर्थडे'' वर्जित हो गया हो। बल्कि दीर्घायु की कामना कोविड क...

Mukti Bhatnagar : मुक्ति भटनागर थी मुंबई में आतंकी हमले की चश्मदीद

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मुक्ति थी मुंबई में आतंकी हमले की चश्मदीद मुंबई के होटल ताज में आतंकी हमले की गवाह डाॅ. मुक्ति भटनागर ने मीडिया से बयां की थी खौफनाक मंजर की कहानी। मुंबई में 26/11 में हुए ताज होटल पर आतंकी हमले का गवाह मेरठ भी रहा था। जिस समय ताज होटल पर हमला हुआ उस समय मेरठ की डाॅ. मुक्ति भटनागर अपनी 90 वर्षीय मां, यूके से आई अपनी बहनों और मुंबई की अपनी दोस्तों साथ डिनर पर गई थीं।  आज इस दुनिया को छोड़ गईं हैं। डाॅ. मुक्ति ने तब मीडिया से आतंकी हमले के खौफनाक कहानी बयां की थी।  उन्होंने बताया था कि जिस समय हमला हुआ उस समय हम लोगों का डिनर आ चुका था। डिनर हाल में सब लोग हंसी-मजाक और गप-शप कर रहे थे। अचानक धमाका हुआ और कान सुन्न हो गए। इसी दौरान गोलियां चलने की आवाजें आने लगी। हाल में मौजूद सभी लोग बाहर की ओर भागे, लेकिन मुख्य गेट के पास गोलियां की आवाज सुनकर सब दबे पांव वापस लौट आए और जिसको जहां जगह मिली अपनी जान बचाने के लिए छुप गया।  डाॅ. मुक्ति भी अपनी मां, बहनों और सहेलियों के साथ किचन की तरफ भागी और वहां पर जाकर छिप गईं। इसी दौरान किचन की ओर आतंकी आए, लेकिन सब लोगों के छिपे होने के ...

Mukti Bhatnagar No More : मुक्ति भटनागर का निधन

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मुक्ति भटनागर का निधन सुभारती विश्वविद्यालय, मेरठ  की संस्थापक सदस्य डॉ. मुक्ति भटनागर का निधन। पिछले कई दिनों से चल रही थी बीमार। सुभारती ग्रुप के चेयरमैन डॉ. अतुल कृष्ण की पत्नी थीं मुक्ति भटनागर। मुक्ति रहीं सुभारती आंदोलन की जनक  डॉ. मुक्ति भटनागर का जन्म 1957 में हुआ। उनका शुरू से ही जुनून था कि वह खुद वह अपने परिवार के साथ ऐसी देश सेवा करें, जिन्हें शायद ही भूला जा सके। सबसे ज्यादा उनका योगदान चिकित्सा शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति रहा। वह सुभारती आंदोलन की जनक भी रहीं। मेरठ तथा देहरादून के सुभारती विश्वविद्यालय की उनके निधन से सुभारती परिवार में मातम छा गया है। बौद्ध रीति से होगा अंतिम संस्कार सुभारती परिवार की तरफ से यह जानकारी दी गई है कि डॉक्टर मुक्ति भटनागर का अंतिम संस्कार सोमवार को सूरजकुंड स्थित श्मशान घाट पर बौद्ध रीति-रिवाजों के साथ किया जाएगा। यह भी अपील की गई है कोविड-19 को दृष्टिगत रखते हुए करीबी, परिचित और उनसे जुड़े लोग स्वयं अंतिम संस्कार में न आकर अपने स्थान से ही प्रार्थना करें। परिवार में उनके पति डॉक्टर अतुल कृष्ण भटनागर के अलावा उनकी बेटी डॉ. शल...

IPS ASHUTOSH PANDAY : अपराधियों की कांपने लगती है रूह

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 आईपीएस आशुतोष पाण्डेय : चेहरे पर मुस्कान, अपराधियों के ल‌िए गुस्सा, जनता से सीधा संपर्क यू पी में  आशुतोष पांडे को चेहरे पर मुस्कान, जनता से सीधे संपर्क रखने वाला तेज तर्रार आईपीएस अधिकारी माना जाता है। उनको अपहरण के केस सॉल्व करने वाला एक्सपर्ट और 30 से ज्यादा एनकाउंटर करने पर एनकाउंटर स्पेशलिस्ट माना जाता है। अयोध्या में 'स्पेशल-26' तैयार करने वाले इस जांबाज आशुतोष पांडे ने कानपुर के चर्चित ज्योति हत्याकांड को सुलझाया था। निडर और साहसी आईपीएस आशुतोष पांडेय की गिनती उन अफसरों में होती है, जिन्हें अपहरण के केस हल करने में महारत हासिल है। उन्होंने एसएसपी के तौर पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में कार्यभार ग्रहण किया। वहां आए दिन अपहरण होने की तमाम घटनाओं को शून्य पर पहुंचाया, अपहरण माफिया का सफाया किया। इस अपराध जनपद में पुलिस का वह इकबाल कायम किया कि वहां अपहरण करने में बदमाशों की रूह कांपने लगी।  उनके द्वारा मुजफ्फरनगर में कायम किए गए पुलिस इकबाल का ही प्रभाव था कि जब 2013 में मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक दंगे की आग में जल रहा था तो आशुतोष पांडेय ...

New Delhi Central Vista : जब मक्का में मस्जिदों को हाजियों की सुविधा के लिए तोड़ा गया

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 विकास में वक्फ का रोड़ा नागवार होगा!           जब मक्का में मस्जिदों को हाजियों की सुविधा के ल‌िए तोड़ा गया न्या यिक निर्णय (हाईकोर्ट : 1 जून 2021) के बाद राजधानी के ''सेन्ट्रल विस्ता'' योजना का निर्माण कार्य निर्बाध रूप से चलेगा। किंतु दिल्ली वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष और ओखला क्षेत्र से आम आदमी पार्टी के विधायक मियां मोहम्मद अमानतुल्ला खान ने (4 जून 2021) प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर आग्रह किया कि इस नई राजधानी निर्माण क्षेत्र में आनेवाली मस्जिदों को बनी रहने दिया जाए। उन्होंने लिखा कि इंडिया गेट के पास के जलाशय के समीपवाली जाब्तागंज मस्जिद न तोड़ी जाए। इसी प्रकार कृषि भवन तथा राष्ट्रपति भवन की मस्जिद भी सुरक्षित रहें। उनकी लिस्ट में सुनहरी बाग रोड, रेड क्रास रोड की (संसद मार्ग), जामा मस्जिद (शाहजहांवाला नहीं) आदि भी शामिल हैं। ध्यान रहें कि ये सब वक्फ की संपत्ति नहीं हैं। एक दफा हरियाणा के चन्द जाट किसानों ने रायसीना हिल्स पर अपना दावा ठोका था। वे राष्ट्रपति को बेदखल कर खुद रहना चाहते थे (20 फरवरी 2017, दि हिन्दू )। इस जाट किसान महाबीर का कहना था क...

Modi & Hanuman ji : जब मोदी बने हनुमान

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 जब मोदी बने हनुमान... भारतमित्र, किन्तु अतीव जुगुप्सित ''मसीहा''        इसके पहले कि आप आगे पढ़कर इस राजनेता को पूर्णतया कुत्सित और सिर्फ घृणास्पद मान लें, उससे जुड़ी तीन नीक बातों का उल्लेख पहले कर दूं। जब नरेन्द्र मोदी ने ब्राजील गणराज्य के इस छाछठ—वर्षीय 38वें राष्ट्रपति तथा भारतमित्र जायूर मसीहा बोल्सोनारो को उनके बीस करोड़ नागरिकों हेतु कोविड—19 कोवैक्सीन खुराक भेजी थी तो उन्होंने आभार में कहा था कि : ''हनुमान संजीवनी लाये थे, रामानुज को बचाया था। वैसे ही कोविड—19 से निबटने हेतु मोदीजी ने हमें संजीवनी भेजी है (22 जनवरी 2021)।'' एक उपकार ब्राजील ने किया था कि भारत के वित्तीय उत्कर्ष के लिये चीन, रुस तथा दक्षिण अफ्रीका के साथ परस्पर सहयोग के तीन गठबंधन रचे। इसे ''ब्रिक्स, आईबीएस तथा बीएएसआईसी'' नाम दिया। इससे भारत को विकास के अपार अवसर मिले।        अगली ​और अन्तिम कृपा की है कि गत गणतंत्र दिवस (26 जनवरी 2020)  पर वे नयी दिल्ली में विशेष अतिथि थे। दक्षिण एशिया और लातिन अमेरिका के इन दोनों राष्ट्रों की डेढ़ अरब जनता के दो नुमाइन्दे साथ...

Arya Samaj & UNITED PUNJAB (3) : आर्य समाज ने महिलाओं को बराबर माना

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आर्य समाज ने महिलाओं को बराबर माना  स्वा मी दयानंद सरस्वती ने अपनी संपूर्ण कार्यों में सर्वोपरि महिलाओं की शिक्षा को रखा। अपने बाल्यकाल में ही अपनी अत्यंत प्रिय बहन का वियोग उन्होंने सहा था। उसकी मृत्यु के बाद वे कई दिन तक शोक ग्रस्त तथा उद्विग्न रहे। अपनी माता के कहने पर ही उस मूलशंकर ने शिवरात्रि के अवसर पर पूरी रात जाग कर शिव  प्राप्ति का संकल्प लिया था।         स्वामी दयानंद सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना के बाद तो महिलाओं के सशक्तिकरण ,उद्धार एवं उन्हें शिक्षित करने का अनुप म कार्य किया। उनसे पूर्व ब्राह्मण समाज में यह धारणा थी कि, *स्त्री शूद्रौ नाधीयातामिति श्रुते:* अर्थात स्त्री और शूद्र न पढ़ें यह श्रुति है । परंतु दयानंद ने इसके उत्तर में कहा कि सभी स्त्री-पुरुष अर्थात मनुष्य मात्र को पढ़ने का अधिकार है। उन्होंने उन पौराणिक ग्रंथों की भर्त्सना की  जिसमें महिलाओं सहित अन्य पिछड़े दलित वर्गों को शिक्षा के अधिकार से वंचित किया गया था। अपने पक्ष के समर्थन में वेद के इस मंत्र को, ' *यथेमां वाच कल्याणीमावदानी जनेभ्य:* ब्रह्मराजन्याभ्या शूद्राय चार...

BSP IN UP : यूपी: बसपा हाशिये की ओर

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   यूपी: बसपा हाशिये की ओर   यू पी में अगल वर्ष 2022 में विधानसभा चुनाव के लिए राजनीतिक गलियारे में नेताओं ने राजनीतिक पंडितों के जरिए अपना भविष्य बनाने के ल‌िए कुंडली देखना शुरू कर दिया है और आ रही ग्रहों की बाधाओं को दूर करने के ल‌िए उपाय करने की ओर बढ़ने लगे हैं। भाजपा इन दिनों किसी भी नुकसान से बचने के लिए कदम फूंक-फूंक कर उठा रही है, वहीं बसपा कील-कांटे निकालकर अपने को मजबूती के साथ खड़ा करने की कोशिश कर रही है। वह अलग बात है कि वह 19 विधायकों से सात पर पहुंच गई है और अपने कई निष्ठावान नेताओं और कार्यकर्तांओं को बाहर का रास्ता दिखा चुकी है। इस  मोर्चे में ब्राह्मणवादी नेता सतीश मिश्रा निरंतर मजबूत हो रहे हैं। लगता है, यह नेताजी ही किसी विशेष योजना के तहत इस पार्टी से दलितों, पिछड़ों तथा मुस्लिम नेताओं को बाहर निकलवाकर  न जाने किस वर्ग की पार्टी बनाना चाहते हैं। इससे यह भी लगता है कि यह पार्टी अपने मूल मिशन के बजाय केवल दो लक्ष्य बनाए हुए हैं पैसा और सत्ता। लोगों को लगता है कि बहनजी बोल्ड निर्णय लेती हैं, लेकिन वे निर्णय क्यों और कैसे और कितने पार्टी के...

Arya Samaj and Mahrishi Dayanand : वर्ण व्यवस्था और छुआछात पर चोट की महर्षि दयानंद ने

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  वर्ण व्यवस्था और छुआछूत पर चोट की महर्षि दयानंद ने म हर्षि दयानंद सरस्वती का सबसे ज्यादा प्रभाव संयुक्त पंजाब (पंजाब_पाकिस्तान, पंजाब-भारत, वर्तमान हरियाणा) के साथ-साथ पश्चिम उत्तर प्रदेश, दिल्ली तथा दक्षिणी राजस्थान में पड़ा। इसका कारण यह भी हो सकता है कि ये सभी इलाके कृषि प्रधान थे तथा इससे जुड़ी तमाम किसान जातियां एक दूसरे पर निर्भर थीं। मेहनती लोगों के पराक्रम ने भी महर्षि दयानंद के विचारों को उत्साहित किया।      स्वामी दयानंद सरस्वती जन्मना ब्राह्मण, वर्ण एवं जाति से थे।  इसके विपरीत वे अस्पृश्यता, भेदभाव तथा जन्मजात वर्ण व्यवस्था के विरुद्ध थे और जब वे अपने वक्तव्यों में कहते कि अस्पृश्यता वेद विरुद्ध है, महिलाओं को भी पुरुषों के समान बराबर के अधिकार हैं तथा किसी व्यक्ति के वर्ण को उसके जन्म से नहीं, उसके गुण, कर्म, स्वभाव से जाना जाएगा तो इस क्षेत्र की तमाम श्रमिक जातियां जिसमें विशेष तौर पर जाट, गुर्जर, रोड, राजपूत ,सैनी व दलित जातियां थी, वे उनके पीछे लामबंद होने लगीं।    जमींदारों ने भी...

George Fernandes : ...तो जार्ज फर्नांडिस की लाश तक नहीं मिलती

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 3 जून 2021 जार्ज की 91वीं वर्षगांठ पर ...तो जार्ज फर्नांडिस की लाश तक नहीं मिलती   आ ज (तीन जून 2021) बागी लोहियावादी जार्ज मैथ्यू फर्नाण्डिस 91 वर्ष के होते। जिस युवा समाजवादी द्वारा बंद के एक ऐलान पर सदागतिमान, करोड़ की आबादीवाली मुंबई सुन्न पड़ जाती थी। जिस मजदूर पुरोधा के एक संकेत पर देश में रेल का चक्का जाम हो जाता था। जिस सत्तर वर्षीय पलटन मंत्री ने विश्व की उच्चतम रणभूमि कारगिल की अठारह बार यात्रा कर मियां मोहम्मद परवेज मुर्शरफ को पटकनी दी थी। सरकारें बनाने-उलटने का दंभ भरनेवाले कार्पोरेट बांकों को उनके सम्मेलन में ही जिस उद्योग मंत्री ने तानाशाह (इमर्जेंसी में) के सामने हड़बड़ाते हुए चूहे की संज्ञा दी, वही पुरूष सुधबुध खोए दक्षिण दिल्ली के पंचशील पार्क में क्लांत जीवन बसर करते चिरनिद्रा में सो गया था। जार्ज को देशभर में फैले उनके मित्र आज नम आँखों से याद करते हैं। विशेषकर श्रमिक नेता विजय नारायण (काशीवासी) और साहित्यकार कमलेश शुक्ल दोनों मेरे साथ तिहाड़ जेल में बडौदा डायनामाइट केस में जार्ज के 24 सहअभियुक्तों में रहे। अपने बावन वर्षों के सामीप्य पर...

Sardar Bhagat Singh : तू न रोना कि तू है, भगत सिंह की माँ

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तू न रोना कि तू है, भगत सिंह की माँ (एक जून स्मृति दिवस)  स न् 1965 में शहीद ए आज़म सरदार भगत सिंह व उनके साथियों पर पहली बार एक फ़िल्म "शहीद" सिनेजगत में आई। यह वह दौर था जब देश की आज़ादी को बचाने व उसकी रक्षा करने का जज्बा पूरे जोरों पर था और उनमें था अग्रणी सरताज हीरो भगत सिंह। आर्य समाज के भजनीक शहरों, कस्बों व गांवों के चौराहों पर सरदर भगत सिंह के गीत, भजनों की लय पर ढोलकी, बाजे व चिमटों के संगीत पर सुनाया करते, जिनको सुनने के लिए सेंकड़ों  की भीड़ एकत्रित होती थी। मेरा परिवार  स्वतंत्रता संग्राम, कांग्रेस व आर्य समाज से जुड़ा हुआ था, इसलिए सभी को शाम ढलते ही जल्दी खाना बनाने व खाने के बाद इन कार्यक्रमों में जाने का जुनून होता था। सरदार भगत सिंह के परिवार की आर्य समाज से जुड़ाव गाथा सबसे ज्यादा प्रभावित करती कि किस प्रकार उनके दादा सरदार अर्जुन सिंह ने आर्य समाज के प्रवर्तक  स्वामी दयानंद सरस्वती से दीक्षा लेकर समाज सुधार का काम किया  था। उनके पिता सरदार किशन सिंह व चाचा सरदार अजीत सिंह ने देश की आज़ादी के लिए सजाए काटी। भगत सिंह की मां तथा बहनों की त...

SunderLal Bahuguna : गांधी मार्ग के पथिक थे सुंदरलाल बहुगुणा

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गांधी मार्ग के पथिक थे सुंदरलाल बहुगुणा श्री सुन्दर लाल बहुगुणा स्मृति व्याख्यान की एक रपट गां धीवादी स्वतंत्रता सेनानी, चिपको आंदोलन के प्रवर्तक तथा पर्यावरणविद् पद्मविभूषण श्री सुंदरलाल जी बहुगुणा की पावन स्मृति में नित्यनूतन वार्ता की ओर से एक स्मृति व्याख्यान का आयोजन दिनांक 30 मई को वेबिनार के जरिए किया गया। स्मृति व्याख्यान के प्रारंभ में अपने स्वागत वक्तव्य में नित्यनूतन के मुख्य संपादक राम मोहन राय ने पत्रिका का परिचय दिया एवं श्री सुंदरलाल बहुगुणा, उनकी पत्नी श्रीमती विमला देवी बहुगुणा के स्वर्गीय निर्मला देशपांडे के बीच गहरे अंतरंग संबंधों को रखा।   25 अक्टूबर 2020 को उन्हें भी इस महान दंपत्ति  के दर्शन करने का सौभाग्य उनके देहरादून स्थित निवास स्थान पर जाकर मिला। उन्होंने उनका एक इंटरव्यू भी लिया तथा उनसे भेंट के संस्मरण को एक आलेख में भी प्रकाशित किया। उन्होंने कहा कि वे सौभाग्यशाली हैं कि उन्हें  बहुगुणा दंपत्ति का आशीर्वाद व स्नेह मिला।     वेबिनार में श्री सुंदरलाल बहुगुणा के सुपुत्र तथा वरिष्ठ पत्रकार व समाल...