Posts

LJP : चिराग पासवान ने पारस समेत बागियों को किया निष्कासित

Image
 किसके हाथ में लोजपा की कमान, चिराग या पारस ?  लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) में चाचा-भतीजे की लड़ाई जारी है। चाचा पशुपति पारस ने पार्टी पर कब्जे की लड़ाई में बाजी मारी तो चिराग पासवान ने सभी बागियों को बाहर करने का फरमान जारी कर दिया। लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) में  दिल्ली से पटना तक चाचा-भतीजा के समर्थक सड़कों पर हैं. एलजेपी के अंदर जारी इस रस्साकस्सी पर संविधान एक्सपर्ट सुभाष कश्यप ने मीडिया से बातचीत में कहा कि मैं पार्टी पर टिप्पणी नहीं करना चाहता, केवल कानूनी मुद्दे पर बात करूंगा, किसके पास पार्टी का नियंत्रण है और किसके पास किसी को निष्कासित करने का अधिकार है, यह पार्टी के संविधान पर निर्भर करता है, पार्टी के अधिकांश सदस्य ही पार्टी के नियंत्रण पर फैसला करेंगे। संविधान एक्सपर्ट सुभाष कश्यप के मुताबिक एलजेपी के टिकट पर चुनाव जीतने वाले सांसद/विधायक निष्कासन के बाद भी सदन में पार्टी के सांसद/विधायक के रूप में बने रह सकते हैं, पार्टी का नियंत्रण किसके पास है, यह तय करने के लिए उन्हें अदालत जाना पड़ सकता है, चुनाव आयोग को यह तय करना होगा कि पार्टी का चुनाव चिन्ह किसे मि...

Cricket : क्रिकेटर मांकड का सम्मान

Image
करिश्माई क्रिकेटर स्व. मांकड नवाजे गए !! के. विक्रम राव         यादों की परतें पलटिये। पटल पर क्रिकेट की घटनाओं को आरेखित कीजिये, फिल्मरोल के सदृश। वहां दिखेगा एक ठिगना, गोलमटोल बॉलर। बस दस डग दौड़ कर वह गेंद उछालता है। बैट्समैन हिट लगाने बढ़ा तो चूकेगा, स्टम्प आउट होगा। और कही मारा तो कैच आउट! तो ऐसे लुभावने गेंदबाज थे महान कप्तान वीनू मांकड। इनके नाम पर गत रविवार (13 जून) को इंग्लैण्ड के विस्डन्स हाल आफ फेम (कीर्ति कक्ष) में एक भव्य समारोह हुआ। उन्हें मान का स्थान दिया गया। प्रत्येक खिलाड़ी के जीवन की यह चरम हसरत होती है। जीते जी नहीं तो, मरणोपरांत ही सही ऐसा गौरव मिले।           मांकड की जन्मस्थली जामनगर के महाराजा रंजीत सिंह (उनके नाम से रणजी ट्रॉफी है) ही प्रथम भारतीय खिलाड़ी थे, जो सन 1900 में इस सम्मान को पा चुके थे। सचिन तेन्दुलकर को मिलाकर सिर्फ छह अन्य गत 130 वर्षों (1890 से) में सम्मानित हुये है। हालांकि मेरी यह पोस्ट पचास पार वालों के लिये अधिक बोधगम्य होगी। वर्ना संदर्भ की किताबें पढ़ें, क्योंकि भारत का पश्चिम—गुजराती (सौराष...

ISRAEL : मुसलमान और यहूदी की साझा सरकार

Image
मुसलमान और यहूदी की साझा सरकार के. विक्रम राव   त निक कल्पना कीजिये कि काशी और मथुरा में औरंगजेबी मस्जिदों को हटाकर पंथनिरपेक्षता हेतु शिवाला और कृष्ण मंदिर बनावाने की मुहिम कांग्रेस की सोनिया गांधी चलाये!! बहुसंख्यकों की आस्था का इस्लामी आक्रामकों द्वारा ऐतिहासिक दमन कांग्रेस अध्यक्ष खत्म करायें। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के पुरोधा जनाब जफरियाब जिलानी साहब सेक्युलर सिद्धांतों के हित में मुस्लमानों के लिये जनसंख्या नियंत्रण कानून बनवाने, तीन तलाक और शरियत के अन्य प्रावधानों के स्थान पर समान संहिता की मांग खुद बुलंद करने लगे तो?         कुछ ऐसा ही अभियान कल से यहूदी राष्ट्र इस्राइल में ''संयुक्त अरब सूची'' के 48—वर्षीय नेता जनाब मोहम्मद मंसूर अब्बास ने चलाने के संकेत दिये हैं। इतिहास में पहली बार इस कट्टर अरब मुस्लिम नेता ने अपने तीन निर्वाचित सांसदों के साथ अन्य यहूदी—पार्टियों से गले लगकर मिलीजुली सरकार बना ली है। पुराने दुश्मन बेंजामिन नेतनयाहू को 12 वर्षों बाद अपदस्थ करना ही इस वक्त इन अरब मुस्लिमों के रहनुमा का एकमात्र लक्ष्य है। इस्लामी दस्तूरों से भी कहीं ऊप...

LJP AND CHIRAG PASWAN : चिराग ने पुराने पत्र से बागियों को दिखाया आईना

Image
 चिराग ने चाचा को लिखा पुराना पत्र किया जगजाहिर इस पत्र को पढ़कर कोई सहज ही अंदाजा लगा सकता है कि रामविलास पासवान के घर में उनके जीवित रहते ही अनबन शुरू हो गई थी। अतिमहत्वकांक्षी पशुपति पारस ने जो खेल खेला, उसकी नींव वह बहुत पहले जमा चुके थे और उचित वक्त के इंतजार में उन्होंने इसको अमली जामा पहनाने में समय लगा दिया। इस पत्र की इबारत को चिराग द्वारा जगजाहिर करने के पीछे कहीं न कहीं प्रिंस को भी होशियार करने की कवायद हो सकती है कि जिन पशुपति पारस के साथ वह गए हैं, वह तो उनके आगे बढ़ने में हमेशा बाधक रहे हैं। लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष बनने तक विरोध कर रहे हैं। ये पत्र आपको भी पढ़ने चाहिए, ताकि आप भी विवाद की गहराई तक पहुंच सकेंं। लोजपा पर चाचा पारस का कब्जा दिवंगत दलित नेता रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी पर उनके ही छोटे भाई हाजीपुर से सांसद पशुपति पारस ने कब्जा कर लिया है। पार्टी के पांच सांसदों की चिठ्ठी अपने पक्ष में लोकसभा स्पीकर को सौंपते पारस ने कहा है पार्टी सांसदों ने उनको अपना नेता और पार्टी ने उनको पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना है। पारस के साथ आए एलजेपी के पां...

Uttrakhand's Indira : एक बहादुर इंदिरा का बिछड़ना

Image
 एक बहादुर इंदिरा का बिछड़ना !! के. विक्रम राव         दक्ष शिक्षाविद्, हनकदार काबीना मंत्री, रौबीली नेता—प्रतिपक्ष, जुझारु ट्रेड यूनियनिस्ट, इन समस्त विशिष्टताओं के संवलित व्यक्तित्व का परिचायक थीं डा. इंदिरा हृदयेश पाठक। फौलादी महिला थीं, अपनी नामाराशी प्रधानमंत्री की मानिन्द। आज पूर्वाह्न काठगोदाम के पास रानीबाग के चित्रकला श्मशान घाट पर उमड़े जनसैलाब ने यही साबित किया। भाजपायी मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हरीश रावत को मिलाकर, हमारे सैकड़ों श्रमजीवी पत्रकार साथीगण नम नेत्रों से एक सुहृद को अलविदा कह रहे थे।          डॉ. इंदिरा हृदयेश का इंडियन फेडरेशन आफ वर्किंग जर्नालिस्ट्स (IFWJ) से करीब का नाता रहा। अटूट था, जो सिर्फ मौत ने तोड़ा। हमारे हर सम्मेलन में वे आतीं थीं। प्रदेश स्तरीय (हरद्वार में) या राष्ट्रीय (नैनीताल में) और राजधानी देहरादून में।         एक बार सूचना और जनसम्पर्क मंत्री थीं तो तकरार की नौबत भी आ गयी थी। पंडित नारायणदत्त तिवारी (नेशनल हेरल्ड के स्तंभकार रहे) तब मुख्यमंत्री थे। ...

Chirag Paswan Vs Pashupati Paras in LJP : चिराग पासवान न तो विरासत संभाल पाए और न ही परिवार

Image
  चिराग पासवान न तो विरासत संभाल पाए और न ही परिवार  मुबाहिसा: आर.के. मौर्य द लितों के बड़े नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे रामविलास पासवान ने अपने निधन से पहले ही लोक जनशक्ति पार्टी के सर्वेसर्वा अपने इकलौते बेटे चिराग पासवान को बना दिया था। पार्टी में चिराग का प्रवेश ही सीधे वर्ष 2012 में संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में किया गया था। उस समय  पार्टी की कार्यसमिति की बैठक में मैं भी राष्ट्रीय सचिव की हैसियत से मौजूद था, जिसका ऐलान रामविलास पासवान ने भावुक होकर आंसु भरे नयनों से किया था, वहीं पासवान के दोनों भाइयों पशुपति पारस और रामचंद्र (अब दिवंगत) की आंखों में भी आंसु थे, दोनों भाइयों के ये आंसु कैसे थे?, इसको लेकर पहले आंतरिक और अब लोजपा के टूटने पर कई चर्चाएं लोजपा में हो रही हैं।  उस समय भी पार्टी में सुगबुगाहट थी कि पासवान के इस फैसले को उनके राजनीतिक सहयोगी और बिहार में पार्टी की रीढ़ की हड्डी माने जाने वाले उनके भाई पशुपति पारस और रामचंद्र पासवान अंदर से नहीं स्वीकार कर पा रहे हैं। इस बैठक से पासवान ने सीधे यही संदेश देने का काम किया ...

AKALI DAL & BSP IN PUNJAB : बसपा-अकाली दल गठबंधन: पंजाब के लिए नई उम्मीद

Image
 बसपा-अकाली दल गठबंधन:  पंजाब के लिए नई उम्मीद मुबाहिसाः आर.के मौर्य ब सपा जहां इन दिनों उत्तर प्रदेश में अंतरकलह और अपने कद्दावर नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाने के कारण विरोध का सामना कर रही है, वहीं पंजाब में अकाली दल के साथ गठबंधन अच्छा कदम रहा है, जो भविष्य के चुनाव में फायदे का सौदा साबित होगा और मान्यवर कांशीराम की धरती पर एक बार फिर बसपा अपनी ताकत बनाने में सफल होगी।  भले ही समझौते में बसपा को  विधानसभा के लिए 20 सीटों पर ही चुनाव लड़ने का समझौता हुआ है, लेकिन यह 20 सीटें ही जमीनी आधार मजबूत करने वाली साबित होंगी और यदि बहनजी ने अपनी आदतन यूपी की तरह उतावलापन नहीं दिखाया और अकाली दल के साथ साझेदारी जारी रखी तो दोनों पार्टियों का गठबंधन पंजाब में लंबे समय तक स्थायी सरकार देने में सक्षम बनेगा। पंजाब में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर जनता के सामने अकाली दल-बसपा गठबंधन के रूप में एक नया सियासी समीकरण सामने आया है। 2022 में होने वाले पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए सुखबीर सिंह बादल की शिरोमणी अकाली दल और मायावती की बहुजन समाज पार्टी ने तमाम अटकलों के बी...

Indira Gandhi : दुहरी त्रासदी थी इंदिरा गांधी की !

Image
दुहरी त्रासदी थी इंदिरा गांधी की !          दो राजनीतिक भूचाल साढ़े चार दशक पूर्व आज ही के दिन (बृहस्पतिवार, 12 जून 1975) उत्तर तथा पश्चिम भारत में आये थे। उससे दुनिया भी हिल गयी थी। मगर दिल्ली बिल्कुल ही बदल गयी थी। एक इलाहाबाद में हुआ तो दूसरा अहमदाबाद में। दोनों घटनास्थलों के बीच फासला है बारह सौ किलोमीटर का। संगम तट से साबरमती तट तक। मगर लोग इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा इंदिरा गांधी को भ्रष्टाचार का दोषी मानकर, उनका लोकसभा चुनाव (मार्च 1971) निरस्त कर देने को ही याद रखते हैं। छह वर्षों के लिये अयोग्य करार दी गयीं थीं। तब फिर क्या हुआ? भारत में सभी जानते हैं। आमजन बनाम इंदिरा         मगर अहमदाबाद वाली  घटना तो ''आमजन बनाम इंदिरा—कांग्रेस'' थी।  ज्यादा महत्व की थी। वह प्रधानमंत्री की निजी सियासी पराजय थी। पहली बार 1952 से प्रदेश विधानसभा में कांग्रेस पार्टी बहुमत नहीं पा पायी। इस ऐतिहासिक परिदृश्य का विवरण कम प्रसारित किया गया है। गुजरात के बाहर चर्चा भी कम ही हुयी है। जून 12 के दिन 1975 में गांधीनगर में जनता मोर्चा की सरकार बनीं थी। ...

Rajnath Singh`S BHABHAURA : ...जब राजनाथ से उनके बाल सखा ही मुश्किल से मिल पाए

Image
  ...जब राजनाथ से उनके बाल सखा ही मुश्किल से मिल पाए देश के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह यूं तो अपने व्यवहार और नपा तुला बोलने के ल‌िए लोकप्रिय माने जाते हैं, लेकिन इन दिनों उनका पैतृक गांव यूपी के चंदौली का भभौरा मीडिया में छा रहा है। वहां के ग्रामीणों और उनमें भी राजनाथ सिंह के बाल सखा शंभूनाथ की यह टिप्पणी "हम अभी भी 19वीं सदी में जी रहे हैं" काफी चर्चा का विषय बनी हुई है। उत्तर प्रदेश के लोकप्रिय शिक्षा मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक रहे राजनाथसिंह इन दिनों देश के रक्षामंत्री हैं और इससे पहले वह जहां गृहमंत्री रहे हैं वहीं केंद्र के कई मंत्रालयों का जिम्मा संभाल चुके हैं। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं। अब तो उनके सुपुत्र पंकज सिंह भी राजनीति में अपना वजूद बनाने के लिए निरंतर लगे हैं और दिल्ली से सटे नोएडा से विधायक और अगली बार लोकसभा के संभावित प्रत्याशी माने जा रहे हैं। ऐसे में उनके पैतृक गांव के लोगों और उनमें भी राजनाथ सिंह के बाल सखा यद‌ि गांव के भरपूर विकास की अपेक्षा रखते हैं, तो इसे जायज ही माना जाएगा। 2004 के बाद राजनाथ सिंह ...

Suprime court and Advocates : कटघरे में तो आए वकील साहिबान

Image
कटघरे में तो आए,  वकील साहबान !!       सर्वो च्च न्यायालय ने  गत सप्ताह वरिष्ठ वकीलों के जमीर को कचोटा। मसला था कि पैरवी हेतु मुकदमा स्वीकारने की बेला पर क्या जुड़े हुए पहलुओं पर वे गौर फरमाते हैं? याचिका के जनपक्ष पर सोचते हैं? हालांकि अभी वस्तुस्थिति यही है कि अर्थ ही प्रधान है, शुभलाभ ही मात्र प्रयोजन है? वकीलों द्वारा हिचकते उत्तरों के कारण उनकी सभी याचिकाएं खारिज हो गईं। यदि भारत की बार काउंसिल सदस्यों को अपने निर्मल मन की बात को मान कर नैतिकतापूर्ण फैसला करने पर सहमत करा लें तो राष्ट्र की न्यायप्रक्रिया सुघड़ होगी। उसमें लोकास्था मजबूत होगी। अन्याय के अंजाम में जनविप्लव की आशंका दूर होगी। वर्ना जनता की सहनशक्ति असीमित नहीं है। कुचले जाने के पूर्व चींटी भी डंक मार ही देती है।        मुद्दा कल (8 जून 2021) का सर्वोच्च न्यायालय की खण्डपीठ वाला है। न्यायमूर्ति द्वय इन्दिरा बनर्जी तथा मुक्तेश्वरनाथ रसिकलाल शाह की अदालत का है। बचाव पक्ष के वकील महोदय दो खाद्य व्यापारियों, प्रवर और विनीत गोयल (नीमच, मध्य प्रदेश), के लिए अग्रिम जमानत...

Media : मुमकिन माना मीडिया ने, नामुमकिन कर डाला योगी ने !!

Image
मुमकिन माना मीडिया ने, नामुमकिन कर डाला योगी ने !!         यूं तो हमारे व्यवसाय में फ़ेक (फर्जी) और पेइड (दाम चुकाई) न्यूज का प्रचलन अरसे से है। खासकर चुनाव के दौरान। अब ''प्लांटिंग''(रोपना) भी चालू है। इसीलिये हमलोग तो पसोपेश में उलझे रहते हैं कि पत्रकारिता आखिर है क्या? व्रत है या वृत्ति? मगर गत दिनों लखनऊ मीडिया जगत में हरित क्रान्ति विस्तीर्ण हो गयी। शायद वनमहोत्सव का पखवाड़ा था! मसलन, निपुण विप्रशिरोमणि, मगध से विदर्भ तक वास कर चुके, पंडित पुण्य प्रसून वाजपेयी ने छह अप्रैल को खबर चलायी कि ''पीएम ने सीएम को जन्मगांठ की शुभकामनायें नहीं भेजीं।'' हालांकि राजधानी के दैनिकों में मुखपृष्ठ पर तभी खबर साया हुयी थी कि भाजपा प्रधानमंत्री भाजपाई मुख्यमंत्री की लंबी आयु के इच्छुक हैं। अर्थात वह सहाफिये—आजम मृषाभाषी हो गये। पुण्यजी की सुकृति चर्चित हो गयी। अचरज का आधार यह है कि एक प्राचीन आम मान्य रिवाज इससे टूटा था। कोरोना काल का प्रोटोकाल तो ऐसा रचा नहीं गया है कि ''हैप्पी बर्थडे'' वर्जित हो गया हो। बल्कि दीर्घायु की कामना कोविड क...

Mukti Bhatnagar : मुक्ति भटनागर थी मुंबई में आतंकी हमले की चश्मदीद

Image
मुक्ति थी मुंबई में आतंकी हमले की चश्मदीद मुंबई के होटल ताज में आतंकी हमले की गवाह डाॅ. मुक्ति भटनागर ने मीडिया से बयां की थी खौफनाक मंजर की कहानी। मुंबई में 26/11 में हुए ताज होटल पर आतंकी हमले का गवाह मेरठ भी रहा था। जिस समय ताज होटल पर हमला हुआ उस समय मेरठ की डाॅ. मुक्ति भटनागर अपनी 90 वर्षीय मां, यूके से आई अपनी बहनों और मुंबई की अपनी दोस्तों साथ डिनर पर गई थीं।  आज इस दुनिया को छोड़ गईं हैं। डाॅ. मुक्ति ने तब मीडिया से आतंकी हमले के खौफनाक कहानी बयां की थी।  उन्होंने बताया था कि जिस समय हमला हुआ उस समय हम लोगों का डिनर आ चुका था। डिनर हाल में सब लोग हंसी-मजाक और गप-शप कर रहे थे। अचानक धमाका हुआ और कान सुन्न हो गए। इसी दौरान गोलियां चलने की आवाजें आने लगी। हाल में मौजूद सभी लोग बाहर की ओर भागे, लेकिन मुख्य गेट के पास गोलियां की आवाज सुनकर सब दबे पांव वापस लौट आए और जिसको जहां जगह मिली अपनी जान बचाने के लिए छुप गया।  डाॅ. मुक्ति भी अपनी मां, बहनों और सहेलियों के साथ किचन की तरफ भागी और वहां पर जाकर छिप गईं। इसी दौरान किचन की ओर आतंकी आए, लेकिन सब लोगों के छिपे होने के ...

Mukti Bhatnagar No More : मुक्ति भटनागर का निधन

Image
मुक्ति भटनागर का निधन सुभारती विश्वविद्यालय, मेरठ  की संस्थापक सदस्य डॉ. मुक्ति भटनागर का निधन। पिछले कई दिनों से चल रही थी बीमार। सुभारती ग्रुप के चेयरमैन डॉ. अतुल कृष्ण की पत्नी थीं मुक्ति भटनागर। मुक्ति रहीं सुभारती आंदोलन की जनक  डॉ. मुक्ति भटनागर का जन्म 1957 में हुआ। उनका शुरू से ही जुनून था कि वह खुद वह अपने परिवार के साथ ऐसी देश सेवा करें, जिन्हें शायद ही भूला जा सके। सबसे ज्यादा उनका योगदान चिकित्सा शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति रहा। वह सुभारती आंदोलन की जनक भी रहीं। मेरठ तथा देहरादून के सुभारती विश्वविद्यालय की उनके निधन से सुभारती परिवार में मातम छा गया है। बौद्ध रीति से होगा अंतिम संस्कार सुभारती परिवार की तरफ से यह जानकारी दी गई है कि डॉक्टर मुक्ति भटनागर का अंतिम संस्कार सोमवार को सूरजकुंड स्थित श्मशान घाट पर बौद्ध रीति-रिवाजों के साथ किया जाएगा। यह भी अपील की गई है कोविड-19 को दृष्टिगत रखते हुए करीबी, परिचित और उनसे जुड़े लोग स्वयं अंतिम संस्कार में न आकर अपने स्थान से ही प्रार्थना करें। परिवार में उनके पति डॉक्टर अतुल कृष्ण भटनागर के अलावा उनकी बेटी डॉ. शल...

IPS ASHUTOSH PANDAY : अपराधियों की कांपने लगती है रूह

Image
 आईपीएस आशुतोष पाण्डेय : चेहरे पर मुस्कान, अपराधियों के ल‌िए गुस्सा, जनता से सीधा संपर्क यू पी में  आशुतोष पांडे को चेहरे पर मुस्कान, जनता से सीधे संपर्क रखने वाला तेज तर्रार आईपीएस अधिकारी माना जाता है। उनको अपहरण के केस सॉल्व करने वाला एक्सपर्ट और 30 से ज्यादा एनकाउंटर करने पर एनकाउंटर स्पेशलिस्ट माना जाता है। अयोध्या में 'स्पेशल-26' तैयार करने वाले इस जांबाज आशुतोष पांडे ने कानपुर के चर्चित ज्योति हत्याकांड को सुलझाया था। निडर और साहसी आईपीएस आशुतोष पांडेय की गिनती उन अफसरों में होती है, जिन्हें अपहरण के केस हल करने में महारत हासिल है। उन्होंने एसएसपी के तौर पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में कार्यभार ग्रहण किया। वहां आए दिन अपहरण होने की तमाम घटनाओं को शून्य पर पहुंचाया, अपहरण माफिया का सफाया किया। इस अपराध जनपद में पुलिस का वह इकबाल कायम किया कि वहां अपहरण करने में बदमाशों की रूह कांपने लगी।  उनके द्वारा मुजफ्फरनगर में कायम किए गए पुलिस इकबाल का ही प्रभाव था कि जब 2013 में मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक दंगे की आग में जल रहा था तो आशुतोष पांडेय ...

New Delhi Central Vista : जब मक्का में मस्जिदों को हाजियों की सुविधा के लिए तोड़ा गया

Image
 विकास में वक्फ का रोड़ा नागवार होगा!           जब मक्का में मस्जिदों को हाजियों की सुविधा के ल‌िए तोड़ा गया न्या यिक निर्णय (हाईकोर्ट : 1 जून 2021) के बाद राजधानी के ''सेन्ट्रल विस्ता'' योजना का निर्माण कार्य निर्बाध रूप से चलेगा। किंतु दिल्ली वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष और ओखला क्षेत्र से आम आदमी पार्टी के विधायक मियां मोहम्मद अमानतुल्ला खान ने (4 जून 2021) प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर आग्रह किया कि इस नई राजधानी निर्माण क्षेत्र में आनेवाली मस्जिदों को बनी रहने दिया जाए। उन्होंने लिखा कि इंडिया गेट के पास के जलाशय के समीपवाली जाब्तागंज मस्जिद न तोड़ी जाए। इसी प्रकार कृषि भवन तथा राष्ट्रपति भवन की मस्जिद भी सुरक्षित रहें। उनकी लिस्ट में सुनहरी बाग रोड, रेड क्रास रोड की (संसद मार्ग), जामा मस्जिद (शाहजहांवाला नहीं) आदि भी शामिल हैं। ध्यान रहें कि ये सब वक्फ की संपत्ति नहीं हैं। एक दफा हरियाणा के चन्द जाट किसानों ने रायसीना हिल्स पर अपना दावा ठोका था। वे राष्ट्रपति को बेदखल कर खुद रहना चाहते थे (20 फरवरी 2017, दि हिन्दू )। इस जाट किसान महाबीर का कहना था क...