मायावती का दलित विरोधी ढोल बसपा की अध्यक्ष मायावती जी जब भी मीडिया से बात करती हैं, उनकी शुरूआत में दलित विरोधी ढोल पीटना एक आदत बन गई है। उन्होंने कहा कि मान्यवर कांशीराम के प्रेरणा स्थल के बंगले और उनके भाई तथा उनकी संपत्ति को लेकर जारी खबर पूरी तरह दलित विरोधी मानसिकता का प्रमाण है। कुछ हद तक उनका यह आरोप सच हो सकता है, लेकिन क्या उनको यह नहीं बताना चाहिए कि सत्ता में आने से पहले तक साधारण परिवार कैसे अरबोपति बन गया है? उनके और उनके परिजनों के नाम यह अकूत संपत्ति कहां से आ गई है? अब वह कांग्रेस को कोस रही हैं, तो फिर पिछले 9 वर्षों से कांग्रेस की सरकार को समर्थन देने का काम क्यों कर रही हैं? या फिर भोले-भाले दलितों को गुमराह करने के लिए ही उनको डॉ. अंबेडकर या फिर अब मान्यवर कांशीराम की याद आती है। वह 2007 में उत्तर प्रदेश के सभी वर्गों के सहयोग से पूर्ण बहुमत की मुख्यमंत्री बनी तो उनको लगा कि अब वह देश की प्रधानमंत्री बन जाएंगी, जिसके लिए उन्होंने और उनके कुछ खास चहेतों ने 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान खूब मुंगेरी लाल ...
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राहुल गांधी ने ठीक कहा मुजफ्फरनगर दंगा पीड़ितों पर पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई की नजर संबंधी बयान मुजफ्फरनगर दंगे को लेकर छप रही तमाम खबरों के आधार पर दिया गया ङै। इस तरह की रिपोर्ट मुजफ्फरनगर के समाचार पत्रों में छप चुकी है। यह बात पूरी तरह सही है कि उत्तर प्रदेश में नरेंद्र मोदी के सखा अमित शाह दंगों के जरिए ही नरेंद्र मोदी की सफलता का सपना देख रहे हैं, जो कभी पूरा नहीं होगा।
narendra modi bana bjp ka chehra
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नरेन्द्र मोदी को चुनाव अभियान का चेयरमैन बनाने से एक बार फिर बीजेपी की सांप्रदायिक छवि को सही साबित कर दिया है I अब जनता को भी सीधा मौका मिलेगा कि वह क्या तो सांप्रदायिकता के मुद्दे को हमेशा के लिए समाप्त करने के लिए मोदी को जीता दें या फिर इनको हराने के लिए वोट दें . अब यह बात भी साबित हो गई है कि अगला चुनाव भाजपा और गैर भाजपा के बीच होगा . गैर भाजपा दलों का नेतृतव कांग्रेस ही करेगी .
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मुंबई से मोइन का सवाल मेरी मुंबई में रेलवे स्टेशन से अपने मित्र के घर जाते वक्त टैक्सी चालक मोइन से मुलाकात हुई, जिसकी पीड़ा सुनकर काफी दुखी हूं। उसका कहना था कि उसके दादा उत्तर प्रदेश के जिला प्रतापगढ़ से काम की तलाश में मुंबई आए थे। वह और उसके पिता की पैदाइश भी मुंबई की है, लेकिन उनको आज भी मुंबई का वासी नहीं माना जाता है। इसके लिए कौन जिम्मेदार है, इस सवाल का जवाब देते हुए मोइन भावुक होकर बोला-राजनीति। मोइन का कहना था कि हम तो यहां काम करने के लिए आए हैं, लेकिन अपनी राजनीति के लिए पहले बाला साहेब ठाकरे और अब राज ठाकरे उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों को महाराष्ट्र का दुश्मन और यहाँ की तरक्की का बाधक मानता है और इस विचार को आम मराठी के मन का विचार बनाने के लिए ही उनका पूरा प्रयास रहता है। लोगों को उम्मीद थी कि उनके अपने प्रदेशों के नेता बनने पर उनको भी नई ताकत मिलेगी, लेकिन जो उनके नेता...
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आशीष नंदी ने आईना दिखाया ! प्रमुख समाजशास्त्री आशीष नंदी ने जयपुर साहित्य महोत्सव में कहा था कि ज्यादातर भ्रष्ट लोग पिछड़ी और दलित जातियों से आते हैं। उनके इस बयान को लेकर राजनीतिक हलकों में बवाल मचा हुआ है। राजस्थान के मीणा समाज के नेता राजपाल मीणा ने उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवा दी थी। महोत्सव परिसर के बाहर युवाओं का समूह, यह कौन है नंदी, जिसकी सोच है गंदी, स्लोगन वाले पोस्टर लेकर प्रदर्शन करते देखे गए। जयपुर के अंबेडकर चौक पर धरना भी दिया गया। दलित नेताओं ने आशीष नंदी को गिरफ्तार करने के लिए अल्टीमेटम भी दिए। जाट महासभा के अध्यक्ष राजाराम मील ने भी नंदी का मुंह काला करने की धमकी दी। यहां तक कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती, लोजपा अध्यक्ष रामविलास पासवान, आरपीआई नेता रामदास अठावले आदि सभी नेता नंदी के बयान को लेकर गुस्से में हैं। यह निर्विवाद रूप से सही है कि आशीष नंदी को किसी भी एक वर्ग या किसी जाति विशेष पर भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगाना चाहिए था। चूंक...
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तो राहुल गांधी ही होंगे पहली पसंद ! पिछले वर्ष उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पूर्व मेरे दफ्तर में खबरिया चैनल के प्रमुख एंकर पूण्य प्रसून वाजपेयी आए थे। वह अपने चैनल के लिए लोगों से सीधे बातचीत के कार्यक्रम के लिए भ्रमण पर थे। मैंने उनसे पूछा कि उत्तर प्रदेश में किस की सरकार आ रही है, उनका तपाक से जवाब था कि इस बार भी मायावती की सरकार बनने जा रही है, जबकि मैं उनकी बात से इत्तेफाक नहीं करता था। मेरा मानना था कि इस बार मायावती सरकार नहीं बना पाएंगी और सपा के पक्ष में अधिक समर्थन जाता दिख रहा है। चुनाव परिणाम ने वाजपेयी जी को गलत साबित किया। इस समय कुछ चैनलों पर नील्सन के सर्वे को अपने से जोड़कर एक राजनीतिक सर्वे दिखाया जा रहा है, जिसमें प्रधानमंत्री के लिए देश के 49 फीसदी की पहली पसंद नरेंद्र मोदी को बताया जा रहा है। यह ही नहीं देश में एनडीए को भरपूर समर्थन के जरिए उसकी सरकार आती दिख रही है। ये सर्वे कितने विश्वसनीय हैं, यह इसी बात से ...
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" WAQT NAHI " Har khushi Hai Logon Ke Daman Mein, Par Ek Hansi Ke Liye Waqt Nahi. Din Raat Daudti Duniya Mein, Zindagi Ke Liye Hi Waqt Nahi. Maa Ki Loree Ka Ehsaas To Hai, Par Maa Ko Maa Kehne Ke liye Waqt Nahi. Saare Rishton Ko To Hum Maar Chuke, Ab Unhe Dafnane Ka Bhi Waqt Nahi. Saare Naam Mobile Mein Hain, Par Dosti Ke Liye Waqt Nahi, Gairon Ki Kya Baat Karen, Jab Apno Ke Liye Hi Waqt Nahi. Aankhon Mein Hai Neend Badee, Par Sone Ka hi Waqt Nahi, Dil Hai Ghamo Se Bhara Hua, Par Rone Ka Bhi Waqt Nahi, Paison ki Daud Me Aise Daude, Ki Thakne ka Bhi Waqt Nahi, Paraye Ehsaso Ki Kya Kadar Karein, Jab Apne Sapno Ke Liye Hi Waqt Nahi, Tu Hi Bata Ae Zindagi. Iss Zindagi Ka Kya Hoga, "Ki Har Pal Marne Walon Ko, Jeene Ke Liye Bhi Waqt Nahi!! (mail by neeraj Tomer)
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भावी योजना की बुनियाद रखी सेनाध्यक्ष वीके सिंह ने रक्षा सौदे में 14 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश का एक वर्ष बाद अपनी सेवानिवृत्ति से कुछ अर्से पहले जनरल वीके सिंह द्वारा खुलासा किया जाना सस्ती लोकप्रियता के लिए उठाया गया कदम ही माना जाएगा। रक्षा मंत्री एके एंटनी ने जिस तरह सीना ठोककर संसद में कहा है कि उनको एक पार्टी के दौरान सेनाध्यक्ष सिंह ने एक साल पहले यह जानकारी दी थी और उन्होंने इस पर कार्रवाई को उनसे कह दिया था। ऐसे में साफ है कि जिस तरह से अनौपचारिकता में सेनाध्यक्ष ने एंटनी से कहा, ठीक उसी तरह उनके द्वारा अनौपचारिक तौर पर कार्रवाई के लिए कह दिया। जितना मैं या अन्य राजनीतिक लोग एंटनी को जानते हैं, वह औपचारिक तौर पर सेनाध्यक्ष द्वारा कार्रवाई की अनुमति मांगने पर कतई पीछे नहीं हटते। आर्मी चीफ अपनी सेवानिवृत्ति से ठीक पहले जिस तरह से मीडिया से रुबरु होकर जो खुलासे कर रहे हैं, वह निश्चित ही सेवानिवृत्ति के बाद उनके द्वारा अपने व्यस्थ रहने के लिए भविष्य की योजनाओं की बुनियाद रखी जा रही है। ...
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क्या हो गया श्री श्री रविशंकर को आजकल देखा जा रहा है कि स्वयंभू आध्यात्मिक गुरुओं को लगता है कि तपस्या और लोक शांति के बजाय अशांति फैलाने के लिए राजनीतिक मुद्दे उछालने का शौक हो गया है। एक पाखंडी गुरु रामदेव जहां योग शिक्षक की भूमिका छोड़कर नेता बनने की जुगत में लगे हैं और कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं, वहीं अपने उत्पादों की ब्राडिंग के लिए मॉडलिंग भी कर रहे हैं। रामदेव को तो कोई अधिक गंभीरता से पहले ही नहीं लेता है, लेकिन जिस तरह से श्री श्री रविशंकर के भी विभिन्न स्थानों पर विवादित कार्यक्रम और बयान आ रहे हैं, उससे लगता है कि वह भी अब रामदेव के रास्ते पर चलने लगे हैं। उनका कहना कि सरकारी स्कूलों में नक्सली पैदा होते हैं, यह घोर निंदनीय और आपत्तिजनक है। सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले ही इस देश में सर्वाधिक चिकित्सक, नेता, वैज्ञानिक, प्रशासनिक और न्यायिक अधिकारी है, और ये न भी हों तो रविशंकर जी की इस बात को कतई सही नहीं माना जा सकता है...
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प्रकाश झा और अमिताभ बच्चन को बधाई मैंने आज प्रकाश झा की फिल्म आरक्षण देखी, जिसको देखकर मैं पहले ही स्पष्ट करना चाहता हूं कि इस फिल्म में आपत्तिजनक जैसी कोई बात नहीं लगती, जैसा कि तमाम दलित नेताओं विशेष रूप से उत्तर प्रदेश की निवर्तमान मुख्यमंत्री मायावती ने अपना विरोध जताया था और उत्तर प्रदेश में इसके प्रदर्शन पर ही रोक लगा दी थी। इस फिल्म की पटकथा वास्तव में बहुत अच्छी लिखी गई है और उसमें अमिताभ बच्चन और सैफ अली खान के साथ ही मनोज वाजपेयी का काम बहुत ही अच्छा रहा, जिन्होंने अपने-अपने पात्रों के साथ न्याय किया। मैं प्रकाश झा, अमिताभ बच्चन, सैफ अली तथा मनोज वाजपेयी को हार्दिक बधाई देना देता हूं।
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मोंटेक सिंह अहलुवालिया की अपनी परिभाषा शहरों में 28.65 रुपये और गांवों में 22.42 रुपये से अधिक कमाने वालों को गरीबी रेखा से ऊपर बताना योजना आयोग के नए मानदंड देशवासियों के साथ मोंटेक सिंह अहलुवालिया का सबसे बड़ा धोखा है। इस मानदंड को हकीकत से कोसों दूर ही माना जाएगा और इसको योजना आयोग की बजाय इसके उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलुवालिया की निजी परिभाषा माना जाना चाहिए। लोकसभा में तमाम नेताओं द्वारा जिस तरह अहलुवालिया और खुद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की खिंचाई की गई है, उससे मोंटेक को आत्ममंथन अवश्य करना चाहिए और आगे देशवासियों को धोखा देने से बचना चाहिए।
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ममता बनर्जी कब तक ब्लैकमेल करेंगी ? केंद्र में जब से यूपीए की सरकार में ममता बनर्जी शामिल हैं, तब से ही वह किसी न किसी मुद्दे पर केंद्र सरकार को ब्लैकमेल कर रही हैं और अब की बार तो उन्होंने हद ही कर दी है, जब रेल बजट पेश होते ही उन्होंने अपनी पार्टी के प्रतिनिधि के तौर पर रेल मंत्री बने दिनेश त्रिवेदी को रेल मंत्री पद से हटने का फरमान सुना दिया। शुरू में दिनेश त्रिवेदी भी काफी अकड़ फूं में थे। उन्होंने संसद भवन में ममता बनर्जी को आवंटित कक्ष के बजाय दूसरा कक्ष आवंटित करने पर हंगामा कर दिया था और अब जब वह रेल मंत्री के रूप में बजट पेश कर रहे थे, तो शायद भूल ही गए कि वह खुद कुछ नहीं है बल्कि एक तानाशाह प्रवृत्ति अपना रहीं ममता बनर्जी के प्रतिनिधि मात्र हैं। वैसे तो उनका कहना सही था कि देश हित के सामने पार्टी या व्यक्ति हित को नहीं देखा जाना चाहिए, लेकिन वह यह बात समझ नहीं पाए कि सुदीप बंधोपध्याय किस तरह उनको ममता बनर...
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मुश्किल है अपना मेल प्रिये, यह प्यार नहीं है खेल प्रिये तुम M.A फर्स्ट divison हो , मै ं हुआ मेट्रिक फ़ैल प्रिये मुश्किल है अपना मेल प्रिये, यह प्यार नहीं है खेल प्रिये तुम फौजी अफसर की बेटी, मै ं तो किसान का बेटा हूं तुम राबड़ी खीर मलाई हो , मै ं तो सत्तू सपरेटा हूँ तुम A.C घर में रहती हो , मै ं पेड़ के नीचे लेटा हूँ तुम नयी मारुती लगती हो , मै ं स्कूटर लम्ब्रेटा हूँ इस कदर अगर हम छुप-छुप कर आपस में प्रेम बढ़ाएंगे तो एक रोज़ तेरे daddy अमरीश पूरी बन जायेंगे सब हड्डी पसली तोड़ मुझे, भिजवा देंगे वोह जे...
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STORY Once, a Chinese traveller came to meet Kautilya (Chanakya). It was dusk and darkness had just started to set in. When the traveller entered Chanakya's room, he saw that Chanakya was busy writing some important papers under the lighting of an oil lamp. You know that there were no bulbs or tube lights in those days, since there was no electricity. So, in those days people used to light oil lamps. Chanakya smilingly welcomed his guest and asked him to sit. He then quickly completed the work that he was doing. But do you know what did he do on completing his writing work? He extinguished the oil lamp under which he was writing and lit another lamp. The Chinese traveller was surprised to see this. He thought that maybe this was a custom followed by Indians when a guest arrives at their home. He asked Chanakya, "Is this a custom in India, when a guest arrives at your house? I mean, extinguishing one lamp and lighting the other?" Chanakya replied, ...