die on This simplicity
इस सादगी पर कौन न मर मिट? के. विक्रम राव वीआईपी सुरक्षा पर होती रही फिजूलखर्ची से बहुधा असीम जनाक्रोश उपजता है। आम जन को क्लेश होता है, सो अलग। वीआईपी मोटर काफिले से सड़क पर आवागमन तो बाधित होता ही है। कभी—कभी प्रतीक्षारत राहगीर की मौत भी। ऐसी ही यातना बेचारे लखनऊवासी भुगतते थे, जब प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेयी अपने लोकसभाई क्षेत्र के दौरे पर लखनऊ आते थे। इसी संदर्भ में कश्मीर प्रशासन द्वारा कल (6 जनवरी 2022) से चार (पूर्व) खर्चीले मुख्यमंत्रियों की विशिष्ट सुरक्षा सेवा निरस्त करने से घाटी के नागरिकों को सुगमता हो गयी। इन वंचित महानुभावों में हैं : डा. फारुख अब्दुल्ला, उनके पुत्ररत्न ओमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और गुलाम नबी आजाद। इनकी रक्षा में एक पुलिस उपाधीक्षक मात्र अब तैनात रहेगा। यहां एक मूलभूत जनवादी पहलू का उल्लेख हो। गणराज्य में आम वोटरों द्वारा निर्वाचित जननायकजन विशेष सुरक्षा हेतु, ढोंग और आडंबर से क्यों आप्लवित रहते हैं? लिप्त रहते हैं? प्रजापालक को जनता से खतरा क...