Posts

Showing posts from 2011
सभी को नए साल की हार्दिक शुभकामनाये -राजेंद्र मौर्य  
  Keep this Railway Complaint Number in your Mobile   (This mail send by my friend ) Incident 1 It happened few months back.  We were travelling and I and my family were waiting in the A/C waiting room at Secunderabad Station. The attached bathroom was not clean and was giving  bad smell. Added to this discomfiture, the bathroom door was not closing tight , and I also observed  that shutter was not closing tight because of faulty door closer. I complained to the attendant .  I also sent an SMS " The bathroom of A/C  waiting room on platform No 1 of Secunderbad Station is dirty and stinking. Pl arrange cleaning . Also the the door is not closing  properly". After few minutes we left the waiting room as our train arrival was announced. Within few minutes I received text reply from Railways,   giving an Id No and that action will be taken . After few hours I received a message that  the bathroom has ...
Image
अन्ना दिशा भटके, बने पीपली लाइव के नत्था मैं गांधीवादी समाजसेवी अन्ना हजारे का बहुत सम्मान करता हूं, लेकिन भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को उन्होंने अपनी टीम के कुछ स्वार्थी लोगों के कहने पर जिस तरह से कांग्रेस के खिलाफ मोड़ दिया है, उससे लगता है कि वे दिशा भटक गए हैं और मीडिया ने उनको आमिर खान की फिल्म का नत्था बना दिया है। जिस तरह पीपली लाइव में एक ग्रामीण नत्था को मीडिया ने अपनी टीआरपी बढ़ाने के लिए इस्तेमाल कर उसके सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक की सभी कवरेज को चाट मसाला बनाकर परोसा,  ठीक उसी तरह  इन दिनों  अन्ना हजारे को हर समय परोसा जा रहा है। राजनीतिक दल भी अन्ना को अपने फायदे और दूसरे के नुकसान के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। अन्ना हजारे को  कुछ एनजीओ माफिया इस्तेमाल कर रहे हैं। उनकी प्रारंभिक लड़ाई यहां तक तो ठीक है कि उन्होंने सरकार और विपक्षियों को भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सख्त लोकपाल बनाने के लिए मजबूर किया, लेकिन यह जिद करना कि उनके अनुसार उनकी ‌शर्तों के आधार पर लोकपाल बने, यह पूरी तरह गलत है। भारत एक प्रजातांत्रिक देश है जहां कानून बनाने का काम संसद को है. ...
दलित कारपोरेट्स को बधाई  मुंबई में दो दिनों तक भारत के दलित कारपोरेट्स ने दलित ट्रेड फेयर का आयोजन किया, जिसमें शामिल हुए प्रमुख उद्यमी रतन टाटा और आदि गोदरेज ने जिस तरह दलित उद्यमियों को सहयोग देकर आगे बढ़ाने की बात की है, उसकी हर ओर सराहना की जानी चाहिए। मैं इस अवसर पर कहना चाहता हूं कि पिछले वर्ष जब दलित उद्यमियों ने मर्सडीज खरीदो और मनू भगाओ का नारा दिया था, उसकी मैंने आलोचना की थी, लेकिन पिछले दिनों दलित इंडियन चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज का गठन और अब उसकी ओर से मुंबई में दो दिन का दलित ट्रेड फेयर आयोजित करके उन्होंने एक सार्थक कदम उठाया है और उन लोगों को मुंहतोड़ जवाब देने की कोशिश की है, जो दलितों को जन्म और जाति के आधार पर अयोग्य मानते हैं। अब समय आ गया है कि दलित सभी क्षेत्रों में अपने आपको  सबसे  अलग  और सफल साबित करें। दलित कारपोरेट्स इसके लिए बधाई के पात्र हैं,  जिन्होंने इसकी शुरूआत की है। -राजेन्द्र मौर्य
  Worth pondering !!!!!   God's Accuracy ... For example: - The eggs of the potato bug hatch in 7 days; - Those of the canary in 14 days; - Those of the barnyard hen in 21 days; - The eggs of ducks and geese hatch in 28 days; - Those of the mallard in 35 days; - The eggs of the parrot and the ostrich hatch in 42 days. (Notice, they are all divisible by seven, the number of days in a week!) God's wisdom is seen in the making of an elephant. The four legs of this great beast all bend forward in the same direction. No other quadruped is so made. God planned that this animal would have a huge body, too large to lift on two legs. For this reason He gave it four fulcrums so that it can rise from the ground easily. The horse rises from the ground on its two front legs first. A cow rises from the ground with its two hind legs first. How wise the Lord is in all His works of creation! God's wisdom is revealed in His arrangement of sections and segments, as well as i...
 A little thought arrives at following conclusions. HOW TO IMPROVE YOUR LIFE   Personality: 1. Don't compare your life to others'. You have no idea what their journey is all about. 2. Don't have negative thoughts of things you cannot control. Instead invest your energy in the positive present moment 3. Don't overdo; keep your limits 4. Don't take yourself so seriously; no one else does 5. Don't waste your precious energy on gossip 6. Dream more while you are awake 7. Envy is a waste of time. You already have all you need. 8. Forget issues of the past. Don't remind your partner of his/ her mistakes of the past. That will ruin your present happiness 9. Life is too short to waste time hating anyone. Don't hate others 10. Make peace with your past so it won't spoil the present 11.  No one is in charge of your happiness except you 12. Realize that life is a school and you are here to learn. Problems are simply part of the curriculum th...
An Interesting blog by Pritish Nandy  I was an MP not very long ago. I loved those six years. Everyone called me sir, not because of my age but because I was an MP. And even though I never travelled anywhere by train during those years, I reveled in the fact that I  could have gone anywhere I liked, on any train, first class with a bogey reserved for my family. Whenever I flew, there were always people around to pick up my baggage, not because I was travelling business class but because I was a MP. And yes, whenever I wrote to any Government officer to help someone in need, it was done. No, not because I was a journalist but because I was an MP. The job had many perquisites, apart from the tax free wage of Rs 4,000. Then the wages were suddenly quadrupled to Rs 16,000, with office expenses of Rs 20,000 and a constituency allowance of Rs 20,000 thrown in. I could borrow interest free money to buy a car, get my petrol paid, make as many free phone calls as...
दलित बनाम गैर दलित साहित्यकार लखनऊ में प्रगतिशील लेखक संघ की 75वीं वर्षगांठ कार्यक्रम के बाद दलित और गैर दलित साहित्यकारों में मुंहभाषा हो रही है। इस मुंहभाषा में साहित्यकारों की सोच के साथ ही उनकी गुटबाजी का भी एक बार फिर खुलासा हो रहा है। लखनऊ में प्रलेस के कार्यक्रम में जेएनयू के प्रो. डा. तुलसीराम की आत्मकथा मुदर्हिया की समीक्षा को लेकर श्यौराज सिंह बेचैन के आरोपों से शुरू हुई यह मुंहभाषा रुकने का नाम नहीं ले रही है। श्यौराज सिंह बेचैन का यह आरोप कि गैर दलित साहित्यकार दलितों की पीड़ा को न तो समझते हैं और न ही उसको ठीक ढंग से लिख सकते हैं। बेचैन जी का मैं बहुत सम्मान करता हूं, लेकिन मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि मुदर्हिया तो एक दलित ने ही अपनी आत्मकथा लिखी है फिर उस पर उनको क्यों एतराज है? जहां तक साहित्यकारों की बात है, वह स्पष्ट तौर पर अकाट्य है कि कोई भी साहित्यकार अपनी कल्पना शक्ति के जरिए अपने पात्रों को न केवल बनाते हैं बल्कि उनको हीरो और विलेन साबित करते हैं। इ...
इंडियन फेडरेशन आफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स के राष्ट्रीय अधिवेशन और नेपाल टूर में शामिल अपने सभी साथियों का स्वागत करता हूं। इस अधिवेशन में मुझे भी शामिल होना था, लेकिन पैर में चोट लगे होने के कारण नहीं पहुंच पा रहा हूं। आदरणीय श्री के. विक्रम राव और श्री परमानंद पांडेय जी का आपको मार्गदर्शन मिलेगा, जो आपके कैरियर के लिए लाभकारी होगा। मेरी ओर से टूर की सफलता के लिए शुभकामनाएं स्वीकार करें।   
साहित्यकार श्री लाल शुक्ला के निधन पर दिल से दुखी हूं। उनके निधन से साहित्य जगत को बड़ी क्षति हुई है।
दीपावली के अवसर पर मजीठिया  वेज बोर्ड की सिफारिश लागू होने  पर सभी पत्रकार साथियों  को बधाई। मैं आईएनएस से भी प्रार्थना करना चाहता हूं कि इसमें अवरोध पैदा करने की बजाय इसे लागू करने में सहयोग प्रदान करें।
दीपावली पर मित्रों के काफी संख्या में संदेश मिल रहे हैं। मैं भी सभी को दीपावली पर हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं। -राजेन्द्र मौर्य
Image
Death is likely the single best invention of Life - by Steve Jobs Worth reading!! Spare a few min from your hectic schedule and read this. For the man who made wonders with technology!! The iMan- Steve Jobs, the world will miss him..   Steve Jobs’ speech @ Stanford University. When I was 17, I read a quote that went something like: “ If you live each day as if it was your last, someday you'll most certainly be right .” It made an impression on me, and since then, for the past 33 years, I have looked in the mirror every morning and asked myself: “ If today were the last day of my life, would I want to do what I am about to do today?” And whenever the answer has been “No” for too many days in a row, I know I need to change something. Remembering that I'll be dead soon is the most important tool I've ever encountered to help me make the big choices in life. Because almost everything — all external expectations, all pride, all fear of embarrassment or fail...
चिराग पासवान को बधाई इन दिनों विभिन्न टीवी चैनलों पर पहले घोषित दलित फिल्मी कलाकार चिराग पासवान की फिल्म मिले ना मिले हम का प्रोमो चल रहा है, यह सभी के लिए सम्मान की बात है और उन लोगों के लिए सबसे अधिक गर्व की बात है, जो समाज में समता की बात सोचते हैं। यूं तो मेरी जानकारी में बॉलीवूड में पहले से कई कलाकार दलित हैं, लेकिन वे अपनी पहचान छुपाते हैं। चिराग पासवान पहले ऐसे दलित कलाकार होंगे, जो काफी धूम धड़ाके से अभिनय शुरू कर रहे हैं। मेरी चिराग को हार्दिक बधाई। मेरी लोगों से अपील है कि सभी इस कलाकार को प्रोत्साहित करने का काम करें ताकि समाज में समता का विचार अधिक मजबूत हो सके।-राजेन्द्र मौर्य   
सभी शामली वासियों को जिला प्रबुद्धनगर बनने पर मेरी ओर से बधाई। मेरा मानना है कि यह जिला सर्वाधिक तरक्की करने वाला जिला होगा। -राजेन्द्र मौर्य
सोमनाथ में लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर में पहुंचे सभी कार्यकर्ताओं का स्वागत करता हूं। मैं इस कार्यक्रम में पहुंचना चाहता था, लेकिन पैर में चोट के कारण चिकित्सकों की राय पर नहीं पहुंच पाया। मैं शिविर की सफलता के लिए शुभकामनाएं देता हूं। -राजेन्द्र मौर्य 
मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का उपवास राजनीतिक तमाशा नई दिल्ली। लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामविलास पासवान ने कहा कि नरेंद्र मोदी उपवास के जरिए वह खुद को धर्मनिरपेक्ष नेता के तौर पर पेश करने का प्रयास कर रहे हैं और प्रधानमंत्री के पद को ध्यान में रखकर अपनी छवि में सुधार करना चाह रहे हैं। पासवान का कहना है कि प्रधानमंत्री पद के लिए अपनी उम्मीदवारी को चमकाने के लिए मोदी का यह सब राजनीतिक ड्रामा है। उच्चतम न्यायालय ने जहां उनके मामले को राज्य में निचली अदालत को स्थानांतरित कर दिया है वहीं मोदी इन राजनीतिक तमाशों के जरिए अपनी कथित धर्मनिरपेक्ष छवि को पेश करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘इस देश में प्रधानमंत्री बनने के लिए किसी व्यक्ति में धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक न्याय की दो महत्वपूर्ण पहचान होनी चाहिए,. लेकिन इन उपवासों से राष्ट्रीय और धर्मनिरपेक्ष दर्जा हासिल करने में उन्हें कभी मदद नहीं मिलेगी। पासवान ने कांग्रेस नेता शंकर सिंह वाघेला को भी निशाने पर लिया. वह मोदी के उपवास की प्रतिक्रिया में इसी तरह का उपवास कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘पार्टी में सांप्रदायिक...
STORY A mouse looked through the crack in the wall to see the farmer and his wife open a package. What food might this contain?" The mouse wondered - he was devastated to discover it was a mousetrap. Retreating to the farmyard, the mouse proclaimed the warning. There is a mousetrap in the house! There is a mousetrap in the house!" The chicken clucked and scratched, raised her head and said, "Mr. Mouse, I can tell this is a grave concern to you, but it is of no consequence to me. I cannot be bothered by it." The mouse turned to the pig and told him, "There is a mousetrap in the house! There is a mousetrap in the house!" The pig sympathized, but said, "I am so very sorry, Mr. Mouse, but there is nothing I can do about it but pray. Be assured you are in my prayers." The mouse turned to the cow and said "There is a mousetrap in the house! There is a mousetrap in the house!" The cow said, "Wow, Mr. Mouse. I'm sorry for you, b...
दिल्ली हाईकोर्ट पर आतंकी हमले की हम कड़े शब्दों में निंदा करते हैं और केंद्र सरकार से अपेक्षा करते हैं कि वह आतकंवाद के खिलाफ सख्त कदम उठाए, ताकि जनता अपने को सुरक्षित महसूस कर सके। -राजेन्द्र मौर्य
" India on the streets " by Chetan Bhagat We have all had that one uncle who keeps on reminding you how India is terrible. He tells you about how every government authority takes bribes - from the RTO to the ration shop to the municipality. He will tell you how no government department does its job well - the potholed roads, abysmal conditions at government schools and poor healthcare all being examples to support your uncle's theory. It is hard to argue with him, for he is right. Things don't work. There is no justice. Power talks. Equality doesn't exist. All of this, even though uncomfortable to hear, rings somewhat true. However, the uncle goes on to say this: "Nothing will ever change." He is convinced that our society is damaged irreparably, and India is destined to live in misery. Uncle Cynic goes on to doubt almost everyone, assumes the worst in people, and anyone who is trying to improve the country is branded as someone with a hidden agenda. ...
‘अंकल’ हम सभी का सामना किसी ऐसे ‘अंकल’ से हुआ होगा, जो समय-समय पर हमें याद दिलाते रहते हैं कि इस देश का भगवान ही मालिक है। उनकी हर बात का लब्बोलुआब यह रहता है कि भारत एक भ्रष्ट और नाकारा देश है, जहां जिंदगी गुजारना मुश्किल है। वे हमें बताते हैं कि आरटीओ से लेकर राशन की दुकान और नगर पालिका तक हर सरकारी अधिकारी घूस खाता है। वे हमें यह भी बताते हैं कि कोई भी सरकारी महकमा ठीक से अपना काम नहीं करता। गड्ढों से भरी सड़कें, खस्ताहाल सरकारी स्कूल, बीमार अस्पताल, ये सभी ‘अंकल’ की थ्योरी को सही भी साबित करते हैं। उनसे बहस करना कठिन है, क्योंकि वे गलत नहीं हैं। हमारे यहां सत्ता की तूती बोलती है, न्याय की आवाज दबकर रह जाती है, समानता का कोई नाम नहीं है। चाहे यह सब सुनने में कितना ही दुखद क्यों न लगे, लेकिन सच्चाई यही है। लिहाजा, ‘अंकल’ अपना राग अलापते रहते हैं कि इस देश का कुछ नहीं हो सकता। ऐसा लगता है जैसे उन्हें इस बारे में कोई भी शक नहीं है। निराश ‘अंकल’ हमारी हर चीज पर संदेह करते हैं और बुराइयों को उभारकर सामने रखते हैं। यदि कोई व्यक्ति देश को सुधारने का बीड़ा उठाता भी है तो वे यह घोषणा कर ...
The Buddha explained how to handle insult and maintain compassion. One day Buddha was walking through a village. A very angry and rude young man came up and began insulting him. "You have no right teaching others," he shouted. "You are as stupid as everyone else. You are nothing but a fake." Buddha was not upset by these insults. Instead he asked the young man "Tell me, if you buy a gift for someone, and that person does not take it, to whom does the gift belong?" The man was surprised to be asked such a strange question and answered, "It would belong to me, because I bought the gift." The Buddha smiled and said, "That is correct. And it is exactly the same with your anger. If you become angry with me and I do not get insulted, then the anger falls back on you. You are then the only one who becomes unhappy, not me. All you have done is hurt yourself." "If you want to stop hurting yourself, you must get rid of your ange...
BETIYAN. "Oas ki bund hoti hai betiyan Sparsh khurdra ho to roti hai betiyan Roshan karega beta to bus 1 hi kul ko 2-2 kulon ki laaj ko dhoti hai betiyan Koi nahi ek dusre se kam Heera agar hai beta to sachcha moti hai betiyan Kanton ki raah pe khud hi chalti rahengi Auron ke liye phool boti hai betiyan Vidhi ka vidhan hai, Yahi duniya ki rasam hai Mutthi bhar neer si hoti hai BETIYAN Jinpe ho Ishwar ki aseem kripa Unke naseeb main hoti hai BETIYAN "
आर.के. मौर्य का सम्मान शामली (उ.प्र.)। राष्ट्रीय स्वतंत्र पत्रकार एसोसिएशन के राष्ट्रीय अधिवेशन में इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स के राष्ट्रीय पार्षद आर.के. मौर्य को सम्मानित किया गया। पत्रकारिता और पत्रकार संगठनों के लिए श्री मौर्य के कार्यों की सराहना करते हुए उनको सम्मानित किया गया। मौर्य ने इस मौके पर देश के कोने-कोने से आए पत्रकारों को संबोधित करते हुए आज के परिवेश में पत्रकार संगठन की आवश्यकता पर बल दिया और देश के वर्तमान हालात पर अपने विचार व्यक्त किए। राष्ट्रीय स्वतंत्र पत्रकार एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमीर आलम ने सभी पत्रकारों का आभार जताया। यह संगठन स्वतंत्र पत्रकारों विशेष रूप से रिटेनर के रूप में विभिन्न समाचार पत्रों में कार्यरत पत्रकारों के हितों की रक्षा के लिए काम करता है। श्री मौर्य पहले भी तमाम अवार्ड से विभिन्न पत्रकार संगठनों द्वारा सम्मानित किए जा चुके हैं।
STORY Two friends were walking through the desert. During some point of the journey they had an argument, and one friend slapped the other one in the face. The one who got slapped was hurt, but without saying anything, wrote in the sand: "TODAY MY BEST FRIEND SLAPPED ME IN THE FACE." They kept on walking until they found an oasis, where they decided to take a bath. The one, who had been slapped, got stuck in the mire and started drowning, but the friend saved him. After the friend recovered from the near drowning, he wrote on a stone: "TODAY MY BEST FRIEND SAVED MY LIFE." The friend who had slapped and saved his best friend asked him, "After I hurt you, you wrote in the sand and now, you write on a stone, why?" The other friend replied: "When someone hurts us, we should write it down in sand where winds of forgiveness can erase it away. But, when someone does something good for us, we must engrave it in stone where no wind can ever erase it....
समझों बाबा रामदेव जैसे संतों को ! मेरा बचपन पटियाला (पंजाब ) में बीता है। मेरी उम्र करीब पांच वर्ष रही होगी, जब मैं एक दिन अपने पिताजी के व्यवसाय के लिए बाहर जाने पर मकान मालकिन के पास बैठा था। दुपहर को एक साधु आया और उसने कहा कि माई मुझे भूख लगी है, मुझकों खाना खिला दो। मकान मालकिन काफी धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थीं, उन्होंने साधु को बड़े ही श्रद्धापूर्वक भोजन खिलाया। खाना खाने के बाद साधु ने मुझ बालक के बारे में जानकारी की, कि यह कौन है। उत्तर में मकान मालकिन ने उनको बताया कि यह किरायेदार का बच्चा है। साधु ने मेरे मस्तक को देखकर कुछ बातें बताईं, जो मेरे भविष्य को लेकर थी। उस समय बाल्यावस्था में मैं भविष्य को लेकर अनजान था, तो वे मेरी समझ से बाहर थी। साधु को जब विदा होने लगे तो मकान मालकिन ने उनको दक्षिणा के रूप में अब से करीब 35 वर्ष पूर्व सवा रुपया दिया, जिसको साधु ने यह कहते हुए लेने से इनकार कर दिया कि वह मुद्रा नहीं ले सकता और उनका संकल्प है कि वह कभी मुद्रा नहीं छुएगा। पूछने पर साधु ने बताया कि उसकी आवश्यकता केवल जीवन के लिए दो रोटी और तन ढकने के लिए एक कपड़ा, जो जहां से भी ...
1. Once, all villagers decided to pray for rain. On the day of prayer all the people gathered but only one boy came with an umbrella… This is Faith 2. When you throw a baby in the air, she laughs because she knows you will catch her… This is Trust 3. Every night we go to bed, without any assurance of being alive the next morning but still we set the alarms in our watch to wake up… This is Hope 4. We plan big things for tomorrow in spite of zero knowledge of the future or having any certainty of uncertainties… This is Confidence 5. We see the world suffering. We know there is every possibility of same or similar things happening to us. But still we get married… This is Overconfidence!!
शायद ज़िन्दगी बदल रही है !! जब मैं छोटा था, शायद दुनिया बहुत बड़ी हुआ करती थी.. मुझे याद है मेरे घर से "स्कूल" तक का वो रास्ता, क्या क्या नहीं था वहां, चाट के ठेले, जलेबी की दुकान, बर्फ के गोले, सब कुछ, अब वहां "मोबाइल शॉप", "विडियो पार्लर" हैं, फिर भी सब सूना है.. शायद अब दुनिया सिमट रही है... . . जब मैं छोटा था, शायद शामें बहुत लम्बी हुआ करती थीं... मैं हाथ में पतंग की डोर पकड़े, घंटों उड़ा करता था, वो लम्बी "साइकिल रेस", वो बचपन के खेल, वो हर शाम थक के चूर हो जाना, अब शाम नहीं होती, दिन ढलता है और सीधे रात हो जाती है. शायद वक्त सिमट रहा है.. . . जब मैं छोटा था, शायद दोस्ती बहुत गहरी हुआ करती थी, दिनभर वो हुजूम बनाकर खेलना, वो दोस्तों के घर का खाना, वो साथ रोना... अब भी मेरे कई दोस्त हैं, पर दोस्ती जाने कहाँ है, जब भी "traffic signal" पे मिलते हैं "Hi" हो जाती है, और अपने अपने रास्ते चल देते हैं, होली, दीवाली, जन्मदिन, नए साल पर बस SMS आ जाते हैं, शायद अब रिश्ते बदल रहें हैं.. . . जब...
STORY A farmer owned an old mule. The mule fell into the farmer’s well. The farmer heard the mule praying or whatever mules do when they fall into wells. After carefully assessing the situation, the farmer sympathized with the mule, but decided that neither the mule nor the well was worth the trouble of saving. Instead, he called his neighbors together, told them what had happened, and enlisted them to help haul dirt to bury the old mule in the well and put him out of his misery. Initially the old mule was hysterical! But as the farmer and his neighbors continued shoveling and the dirt hit his back, a thought struck him. It suddenly dawned on him that every time a shovel load of dirt landed on his back, HE WOULD SHAKE IT OFF AND STEP UP! This he did, blow after blow. “Shake it off and step up…shake it off and step up…shake it off and step up!” He repeated to encourage himself. No matter how painful the blows, or how distressing the situation seemed, the old mule fought panic and...
आखिर मजीठिया वेज बोर्ड का विरोध क्यों !  पिछले कुछ दिनों से आईएनएस ने पत्रकार और गैर पत्रकारों के लिए गठित छठे वेतन आयोग जीआर मजीठिया की रिपोर्ट के खिलाफ एक अभियान चलाया हुआ है। इस अभियान की अगुवाई टाइम्स आफ इंडिया आदि कुछ बड़े समाचार पत्रों द्वारा की जा रही है। उसमें जहां पु्राने समाचारों को स्थान दिया जा रहा है, वहीं मुहिम के जरिए यह साबित करने की कोशिश की जा रही है कि यदि यह रिपोर्ट लागू की गई तो देश के अधिकांश समाचार पत्र बंद होने के कगार पर आ जाएंगे। उसमें तथ्य यह प्रस्तुत किए जा रहे हैं कि इस रिपोर्ट के लागू होने पर एक हजार करोड़ टर्नओवर वाले समाचार पत्रों के चपरासी और ड्राइवर का वेतन भी 45-50 हजार रुपये हो जाएगा, जो सीमा पर जवान और एक मजिस्ट्रेट के वेतन से भी अधिक है। यहां सवाल यह है कि टाइम्स आफ इंडिया या आईएनएस को यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि देश में एक हजार करोड़ रुपये टर्नआवर वाले कितने समाचार पत्र हैं और उनमें कितने चपरासी और ड्राइवर नियमित कर्मचारी हैं, जो इनके दावे के अनुसार बढ़ा वेतन पाने के हकदार होंगे। भ्रमित करने के लिए अपने अभियान मे आईएनएस भले ही कुछ दावे करे, ल...