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Showing posts from 2012
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    The wrong kind of people hate you for the good in you! & The right kind of people love you even after knowing the bad in you.
       " WAQT NAHI " Har khushi Hai Logon Ke Daman Mein, Par Ek Hansi Ke Liye Waqt Nahi. Din Raat Daudti Duniya Mein, Zindagi Ke Liye Hi Waqt Nahi. Maa Ki Loree Ka Ehsaas To Hai, Par Maa Ko Maa Kehne Ke liye Waqt Nahi. Saare Rishton Ko To Hum Maar Chuke, Ab Unhe Dafnane Ka Bhi Waqt Nahi. Saare Naam Mobile Mein Hain, Par Dosti Ke Liye Waqt Nahi, Gairon Ki Kya Baat Karen, Jab Apno Ke Liye Hi Waqt Nahi. Aankhon Mein Hai Neend Badee, Par Sone Ka hi Waqt Nahi, Dil Hai Ghamo Se Bhara Hua, Par Rone Ka Bhi Waqt Nahi, Paison ki Daud Me Aise Daude, Ki Thakne ka Bhi Waqt Nahi, Paraye Ehsaso Ki Kya Kadar  Karein, Jab Apne Sapno Ke Liye Hi Waqt Nahi, Tu Hi Bata Ae Zindagi. Iss Zindagi Ka Kya Hoga, "Ki Har Pal Marne Walon Ko, Jeene Ke Liye Bhi Waqt Nahi!! (mail by neeraj Tomer)
भावी योजना की बुनियाद रखी सेनाध्यक्ष वीके सिंह ने रक्षा सौदे में ‌14 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश का एक वर्ष बाद अपनी सेवानिवृत्ति से कुछ अर्से पहले जनरल वीके सिंह द्वारा खुलासा किया जाना सस्ती लोकप्रियता के लिए उठाया गया कदम ही माना जाएगा। रक्षा मंत्री  एके एंटनी ने जिस तरह सीना ठोककर संसद में कहा है कि उनको एक पार्टी के दौरान सेनाध्यक्ष सिंह ने एक साल पहले यह जानकारी दी थी और उन्होंने इस पर कार्रवाई को उनसे कह दिया था। ऐसे में साफ है कि जिस तरह से अनौपचारिकता में सेनाध्यक्ष ने एंटनी से कहा, ठीक उसी तरह उनके द्वारा अनौपचारिक तौर पर कार्रवाई के लिए कह दिया। जितना मैं या अन्य राजनीतिक लोग एंटनी को जानते हैं, वह औपचारिक तौर पर सेनाध्यक्ष द्वारा कार्रवाई की अनु‌मति मांगने पर कतई पीछे नहीं हटते। आर्मी चीफ अपनी सेवानिवृत्ति से ठीक पहले जिस तरह से मीडिया से रुबरु होकर जो खुलासे कर रहे हैं, वह निश्चित ही सेवानिवृत्ति के बाद उनके द्वारा अपने व्यस्थ रहने के‌ लिए भविष्य की योजनाओं की बुनियाद रखी जा रही है। उनके द्वारा जन्मतिथि के लिए बखेड़ा खड़ा करने को भी इसी तरह लिया जाना चाहि
लालू यादव के जल्द स्वस्थ्य होने की कामना मुझे आज पता चला कि राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव को अस्वस्थ होने पर एम्स में भर्ती कराया गया है। मैं उनके जल्द स्वस्थ्य होने की कामना करता हूं।  
क्या हो गया श्री श्री रविशंकर को आजकल देखा जा रहा है कि स्वयंभू आध्यात्मिक गुरुओं को लगता है कि तपस्या और लोक शांति के बजाय अशांति फैलाने के‌ लिए राजनीतिक मुद्दे उछालने का शौक  हो गया है। एक पाखंडी गुरु रामदेव जहां योग शिक्षक की भूमिका छोड़कर नेता बनने की जुगत में लगे हैं और  कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं, वहीं अपने उत्पादों की ब्रा‌डिंग के लिए मॉ‌डलिंग भी कर रहे हैं। रामदेव को तो कोई अधिक गंभीरता से पहले ही नहीं लेता है, लेकिन जिस तरह से श्री श्री रविशंकर के भी विभिन्न स्थानों पर विवादित कार्यक्रम और बयान आ रहे हैं, उससे लगता है कि वह भी अब रामदेव के रास्ते पर चलने लगे हैं। उनका कहना कि सरकारी स्कूलों में नक्सली पैदा होते हैं, यह घोर निंदनीय और आपत्तिजनक है। सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले ही इस देश में सर्वाधिक चिकित्सक, नेता, वैज्ञानिक, प्रशासनिक और न्यायिक अधिकारी है, और ये न भी हों तो  रविशंकर जी की इस बात को कतई सही नहीं माना जा सकता है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले नक्सली बन रहे हैं।  
                            प्रकाश झा और अमिताभ बच्चन को बधाई मैंने आज प्रकाश झा की ‌फिल्म आरक्षण देखी, जिसको देखकर मैं पहले ही स्पष्ट करना चाहता हूं कि इस फिल्म में आपत्तिजनक जैसी कोई बात नहीं लगती, जैसा कि तमाम दलित नेताओं विशेष रूप से उत्तर प्रदेश की निवर्तमान मुख्यमंत्री मायावती ने अपना विरोध जताया था और उत्तर प्रदेश में इसके प्रदर्शन पर ही रोक लगा दी थी। इस फिल्म की पटकथा वास्तव में बहुत अच्छी लिखी गई है और उसमें अमिताभ बच्चन और सैफ अली खान के साथ ही मनोज वाजपेयी का काम बहुत ही अच्छा रहा, जिन्होंने अपने-अपने पात्रों के साथ न्याय किया। मैं प्रकाश झा, अमिताभ बच्चन, सैफ अली तथा मनोज वाजपेयी को हार्दिक बधाई देना देता हूं।
                                   मोंटेक सिंह अहलुवालिया की अपनी परिभाषा   शहरों में 28.65 रुपये और गांवों में 22.42 रुपये से अधिक कमाने वालों को गरीबी रेखा से ऊपर बताना योजना आयोग के नए मानदंड देशवासियों के साथ मोंटेक सिंह अहलुवालिया का सबसे बड़ा धोखा है। इस मानदंड को हकीकत से कोसों दूर ही माना जाएगा और इसको योजना आयोग की बजाय इसके उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलुवालिया की निजी परिभाषा माना जाना चाहिए। लोकसभा में तमाम नेताओं द्वारा जिस तरह अहलुवालिया और खुद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की खिंचाई की गई है, उससे मोंटेक को आत्ममंथन अवश्य करना चाहिए और आगे देशवासियों को धोखा देने से बचना चाहिए।
ममता बनर्जी कब तक ब्लैकमेल करेंगी ? केंद्र में जब से यूपीए की सरकार में ममता बनर्जी शामिल हैं, तब से ही वह किसी न किसी मुद्दे पर केंद्र सरकार को ब्लैकमेल कर रही हैं और अब की बार तो उन्होंने हद ही कर दी है, जब रेल बजट पेश होते ही उन्होंने अपनी पार्टी के प्रतिनिधि के तौर पर रेल मंत्री बने दिनेश त्रिवेदी को रेल मंत्री पद से हटने का फरमान सुना दिया। शुरू में दिनेश त्रिवेदी भी काफी अकड़ फूं में थे। उन्होंने संसद भवन में ममता बनर्जी को आवंटित कक्ष के बजाय दूसरा कक्ष आवंटित करने पर हंगामा कर दिया था और अब जब वह रेल मंत्री के रूप में बजट पेश कर रहे थे, तो शायद भूल ही गए कि वह खुद कुछ नहीं है बल्कि एक तानाशाह प्रवृत्ति अपना रहीं ममता बनर्जी के प्रतिनिधि मात्र हैं। वैसे तो उनका कहना सही था कि देश हित के सामने पार्टी या व्यक्ति हित को नहीं देखा जाना ‌चाहिए, लेकिन वह यह बात समझ नहीं पाए कि सुदीप बंधोपध्याय किस तरह उनको ममता बनर्जी के दरबार में नीचे गिराने का काम कर रहे हैं।      ‌‌त्रिवेदी यह भी भूल गए कि उनकी अपनी कोई हैसियत नहीं है। वह तब तक ही मंत्री हैं, जब तक ममता जी चाहती ह
मुश्किल  है  अपना  मेल  प्रिये, यह  प्यार  नहीं  है  खेल  प्रिये तुम   M.A फर्स्ट  divison  हो , मै ं  हुआ  मेट्रिक  फ़ैल  प्रिये मुश्किल  है  अपना  मेल  प्रिये, यह  प्यार  नहीं  है  खेल  प्रिये तुम   फौजी  अफसर  की  बेटी, मै ं  तो  किसान  का   बेटा  हूं तुम   राबड़ी  खीर  मलाई  हो , मै ं  तो  सत्तू  सपरेटा  हूँ तुम   A.C घर  में  रहती  हो , मै ं  पेड़  के   नीचे  लेटा हूँ तुम   नयी  मारुती  लगती  हो , मै ं  स्कूटर  लम्ब्रेटा  हूँ इस  कदर  अगर  हम  छुप-छुप  कर  आपस  में  प्रेम  बढ़ाएंगे तो  एक  रोज़  तेरे  daddy अमरीश  पूरी  बन  जायेंगे सब  हड्डी  पसली  तोड़  मुझे, भिजवा  देंगे  वोह  जेल  प्रिये मुश्किल  है  अपना  मेल  प्रिये, मुश्किल  है  अपना  मेल  प्रिये तुम   अरब  देश  की  घोड़ी  हो , मैं   हूँ  गधे   की  नाल  प्रिये तुम   दिवाली  की  बोनुस  हो , मै ं  भूखों  की  हड़ताल  प्रिये तुम   हीरे  जड़ी  तश्तरी  हो , मै ं  अल्लुमिनियम  की  थाल  प्रिये तुम   चिक् के न  सौप  बिरयानी  हो , मै ं  कंकड़  वाली  दाल  प्रिये तुम   हिरन  चौकड़ी  भारती  हो , मै ं  हूँ  कछुए  की  चाल  प्रिये
 STORY   Once, a Chinese traveller came to meet Kautilya (Chanakya). It was dusk and darkness had just started to set in. When the traveller entered Chanakya's room, he saw that Chanakya was busy writing some important papers under the lighting of an oil lamp. You know that there were no bulbs or tube lights in those days, since there was no electricity. So, in those days people used to light oil lamps. Chanakya smilingly welcomed his guest and asked him to sit. He then quickly completed the work that he was doing. But do you know what did he do on completing his writing work? He extinguished the oil lamp under which he was writing and lit another lamp. The Chinese traveller was surprised to see this. He thought that maybe this was a custom followed by Indians when a guest arrives at their home. He asked Chanakya, "Is this a custom in India, when a guest arrives at your house? I mean, extinguishing one lamp and lighting the other?" Chanakya replied, &quo
महान क्रिकेट खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर को उनके 100वें शतक पर हार्दिक बधाई
मुलायम के समाजवाद की पोल खुली वैसे तो मुलायमसिंह यादव अपने को डॉ. राममनोहर लोहिया के पथ पर चलने का दावा करते हैं, लेकिन जिस तरह अखिलेश यादव के शपथ ग्रहण में करोड़ों रुपये की बर्बादी की गई, वह उनके समाजवाद की पोल खोलने भर के लिए काफी है। अच्छा होता कि अखिलेश यादव राजभवन में ही किसी औपचारिकता में पड़े बगैर सादगी से मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर नई मिसाल पैदा करते, लेकिन शायद अब समाजवाद भी पूंजीवाद से आकर्षित हो रहा है, जिसका पहले भी मुलायमसिंह यादव जी की कार्यशैली से कई बार मिल चुका है। पहले तो इसके लिए उनके खास सिपाहसलार अमरसिंह को इसके लिए जिम्मेदार माना जाता था और समय-समय पर इसके लिए अपने को खाटी के समाजवादी कहे जाने वाले कई नेता अमरसिंह को कोसते हुए दिखाई देते थे, लेकिन अब तो अमरस‌िंह कहीं दूर तक भी नहीं हैं फिर क्यों समाजवाद पूंजीवाद को ओढ़ रहा है? क्यों नहीं समाजवादी इसपर चोट कर रहे हैं। बेटे को मुख्यमंत्री बनाने के फैसले को भी कहीं से समाजवादी विचारधारा से नहीं जोडा जा सकता है। केवल मुसलिम लड़कियों को ही शादी और आगे की शिक्षा के लिए 30 हजार रुपये की सहायता राशि कौन सी स
अखिलेश को बधाई उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को हार्दिक बधाई। उम्मीद की जा सकती है कि वह किसी दुर्भावना से काम नहीं करेंगे और प्रदेश के साथ ही सभी वर्गों का समान रूप से ध्यान रखेंगे।  
STORY In ancient times, a king had a boulder placed on a roadway. Then he hid himself and watched to see if anyone would remove the huge rock. Some of the king’s wealthiest merchants and courtiers came by and simply walked around it. Many loudly blamed the king for not keeping the roads clear, but none did anything about getting the big stone out of the way.Then a peasant came along carrying a load of vegetables. On approaching the boulder, the peasant laid down his burden and tried to move the stone to the side of the road. After much pushing and straining, he finally succeeded. As the peasant picked up his load of vegetables, he noticed a purse lying in the road where the boulder had been. The purse contained many gold coins and a note from the king indicating that the gold was for the person who removed the boulder from the roadway. The peasant learned what many others never understand. MORAL OF THE STORY: Every obstacle presents an opportunity to improve one’s condition.
मायावती समझें खतरे की घंटी उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में अब यह बात साफ होने लगी है कि सवर्णों को लुभाने के चक्कर में बसपा के दलित वोट बैंक में सेंध लग गई है। दलितों में गैर जाटव वोट के बंटने से बसपा क ो भारी नुकसान हुआ। महापुरूषों के सम्मान में पार्कों और स्मारकों के जरिए दलित स्वाभिमान की आंच तेज करके उनके एकमुश्त वोट पाने की हसरत पर सपा ने जहां पानी फेर दिया, वहीं अन्य राजनीतिक दलों ने भी इसपर गंभीरता से काम ‌किया है। जिस बसपा ने 2007 के विधानसभा चुनाव में दलित बाहुल्य सुरक्षित सीटों में 62 पर कब्जा किया था, उसमें से वह इस बार 47 सीटें हार गई। वह केवल 15 सीटें ही जीत पाई, जबकि मुख्यत: पिछड़े वर्ग की पार्टी मानी जाने वाली सपा ने 58 सीटें जीतकर संकेत दिया है कि अब दलितों में जाटव और चमार जाति के अलावा दूसरी जातियों को साथ लेकर अच्छी सफलता हासिल की जा सकती है। इस चुनाव में इसी रणनीति पर कमोबेश सभी राजनीतिक दलों ने काम किया है, चूंकि सत्ताधारी बसपा  विरोधी  लहर में जनता के समक्ष समाजवादी पार्टी विकल्प बनी तो उसको थोक में वोट मिल गया और अगले चुनाव में कोई और विकल्प दिखे
अफसरों की राय में मायावती की हार   एक मेरे घनिष्ट प्रशासनिक अधिकारी ने फोन पर मायावती की हार के कारणों को लेकर अलग ही बात बताई। उनका कहना था कि तीन साल पहले सत्ता विरोधी रुझान की सरसराहट को अगर मायावती ने तनिक महसूस किया होता तो शायद वह इस माहौल को आंधी में बदलने से रोक सकती थीं, लेकिन वे केवल सोशल इंजीनियरिंग के भरोसे सत्ता में वापसी का ख्वाब देख रहीं थीं। अब यह उनके लिए महज रेत का टीला ही साबित हुआ। बसपा इस सवाल को नहीं समझ पाई कि जब पांच साल के लिए पूर्ण बहुमत का जनादेश मिला है तो दागियों, माफिया को गले लगाने की क्या जरूरत है? अगर किसी का अपराध सामने आता है तो उस पर कार्रवाई करने में हिचकिचाहट क्यों रहती है? यह सवाल पहले बसपा काडर से उठता था धीरे-धीरे जनता के बीच उठने लगा। हर समस्या के लिए विरोधियों या केंद्र सरकार पर ठीकरा फोड़ने वाली बसपा सरकार से जनता ने अब सपा के पक्ष में  जनादेश देकर पूछा है कि जब आपको केवल आरोप ही लगाना है तो आपकी जरूरत ही क्या है?  पांच साल पहले बसपा को जो कामयाबी मिली थी उससे बड़ी कामयाबी सपा को इस बार हासिल हुई है। वहीं सपा ने बसपा क ो भी दस स
 जाति विरोधी भावना को महसूस नहीं कर पाईं मायावती जी! उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी की पूर्ण बहुमत की सरकार धराशाई हो गई, जिसको लेकर कोई सत्ता विरोधी आंधी बता रहा है तो कोई मायावती के भ्रष्टाचार को लेकर जनादेश बता रहा है। मेरा इस परिणाम को लेकर अलग ही मानना है और इसको लेकर मैं 2009 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान भी कहता रहा हूं कि उत्तर प्रदेश में मायावती को सबल वर्ग ने वोट देकर पूर्ण बहुमत का दलित मुख्यमंत्री बनाया जरूर है, लेकिन मायावती के मुख्यमंत्री बनते ही किए गए व्यवहार को लेकर जातीय भेदभाव से सबल वर्ग उबलने लगा है। सभा के खुले स्थलों के मंचों पर प्रधानमंत्री की सभाओं का उदाहरण देकर एसी लगवाना. मंच पर अकेले बैठकर सबल वर्ग के मंत्रियों और विधायक से पैर छूने को देखकर सबल वर्ग पचा नहीं पाया। कई सबल वर्ग के मंत्रियों और विधायकों को इस बाबत कई बार अपने क्षेत्रों में विरोध भी झेलना पड़ा।  जब मायावती और उनकी पार्टी ने 2009 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री बनने की हुंकार भरी तो इसको सबल वर्ग अपनी आंतरिक दलित विरोधी भावना को दबा नहीं पाया और ऐसा अंडर करंट फैला कि 50 से
STORY A sage presented a prince with a set of three small dolls. The prince was not amused. "Am I a girl that you give me dolls?" he asked. "This is a gift for a future king," said the man. "If you look carefully, you'll see a hole in the ear of each doll." "So?" The sage handed him a piece of string. "Pass it through each doll," he said. Intrigued, the prince picked up the first doll and put the string into the ear. It came out from the other ear. "This is one type of person," said the man. "Whatever you tell him comes out from the other ear. He doesn't retain anything." The prince put the string into the second doll. It came out from the mouth. "This is the second type of person," said the man. "Whatever you tell him, he tells everybody else." The prince picked up the third doll and repeated the process. The string did not reappear from anywhere else. "This
होली पर सभी देशवासियों को हार्दिक मंगलकामनाएं।
मीडिया पर हमला निंदनीय कर्नाटक की राजधानी बंगलूरू में कोर्ट परिसर में वकीलों द्वारा मीडियाकर्मियों और पुलिस पर हमला निंदनीय है। आखिर सभी को कानून का पाठ पढ़ाने वाले वर्ग को क्या हो गया है ?, जो उनके द्वारा आए दिन देश के किसी न किसी हिस्से में कानून को अपने हाथ में लेने की घटनाएं अब आम हो गई हैं। वकीलों को कोई आदर्श व्यवहार का पाठ पढ़ाए, यह काफी शर्मनाक है। उनको खुद ही इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि कोई उनकी ओर अंगुली न उठाए और कम से कम उनको कानून तो अपने हाथ में किसी भी दशा में नहीं लेना चाहिए।    बंगलूरू में टकराव तब शुरू हुआ जब वकीलों ने अवैध खनन मामले में पेश हुए पूर्व मंत्री व खनन उद्योग के दिग्गज जी. जनार्दन रेड्डी के कवरेज के लिए मीडियाकर्मियों की मौजूदगी का विरोध किया। झड़प के बाद उन्होंने पथराव शुरू कर दिया। पानी की बोतलें, कुर्सियां, हेलमेट और जो भी चीज हाथ में आई, उसका हथियार के रूप में इस्तेमाल किया गया। कोर्ट में कई मामलों की सुनवाई बाधित हो गई। हिंसा पर उतारू वकीलों को काबू करने वाली पुलिस पर भी हमला किया गया। पुलिस उप आयुक्त (सेंट्रल डिवीजन) रमेश भी जख्मी हो
केंद्रीय मंत्री कुमारी शैलजा के प्रति संवेदना मुझे जानकारी मिली क‌ि केंद्रीय पर्यटन मंत्री कुमारी शैलजा की मां का लंबी बीमारी के बाद बृहस्पतिवार को निधन हो गया। वे पिछले कई दिनों से अस्पताल में भरती थीं।  कुमारी शैलजा की 85 वर्षीय मां कलावती के निधन पर दिल से दुखी हूं। मैं उनकी आत्मा की शांति के लिए ईश्वरीय शक्ति से प्रार्थना करता हूं और कुमारी शैलजा के प्रति गहरी संवेदना प्रकट करता हूं।
पासवानजी का सराहनीय कदम   बिहार में प्रेस की आजादी को लेकर पिछले दिनों प्रेस कौंसिल के अध्यक्ष जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने सवाल उठाया था, इसको लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने कुछ भी टिप्पणी न करके अपने खास सुशील कुमार मोदी को आगे करके काटजू के बयान पर तीखी टिप्पणी कराई थी, लेकिन एक भी प्रयास ऐसा नहीं किया गया, जिससे नी‌तिश कुमार पर प्रेस की आजादी पर अंकुश लगाने का आरोप न लगे। अच्छा होता कि नीतिश कुमार प्रेस को और अधिक आजादी से काम करने का मौका देते, चूंकि कुमार को दुबारा सत्ता में आने के लिए कहीं न कहीं प्रेस का भी सहयोग माना जाता रहा है। अभी भी बराबर सूचनाएं आ रही हैं कि नीतिश कुमार प्रेस कौंसिल के अध्यक्ष की टिप्पणी करने के बाद सुधार करने की बजाय प्रेस के प्रति सख्ती अपना रहे हैं, इसलिए आवश्यकता है कि अधिकाधिक लोग बिहार के मुख्यमंत्री के खिलाफ सड़कों पर आएं। आज लोक जनशक्ति पार्टी ने दिल्ली में जंतर मंतर पर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सांसद रामविलास पासवान के नेतृत्व में गिरफ्तारी दी। पासवान ने कहा कि बिहा
मार्कंडेय काटजू की मीडिया को सलाह   प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने मीडिया को सलाह दी है कि महिलाओं के प्रति होने वाले अपराध खासतौर पर यौन दुष्कर्मों के मामलों में रिपोर्टिंग करते समय सावधानी बरती जाए। काटजू का मानना है कि अगर पीड़िता के नाम रिपोर्ट में प्रकाशित हो जाते हैं तो उनके विवाह होने की संभावनाएं कम हो जाती हैं। भारत एक रूढ़िवादी देश है, इसलिए अगर आप ये रिपोर्ट छापते हैं कि किसी महिला के साथ बलात्कार हुआ है तो लोग उससे विवाह नहीं करना चाहेंगे। उन्होंने कहा कि इसे ध्यान में रखते हुए मीडिया रिपोर्ट में पीड़ित महिला का नाम या पहचान उजागर करने से बचना चाहिए। काटजू ने इससे संबंधित निर्देश पीसीआई द्वारा सभी मीडिया हाउसों को जल्दी ही भेजने की भी बात कही है। हालांक‌ि काटजू ने यह बात   आंध्र प्रदेश के एक मामले की सुनवाई करते हुए कही है। इस मामले में बलात्कार पीड़ित महिला का नाम एक समाचार चैनल द्वारा प्रसारित कर दिया गया था, लेकिन इन दिनों नोएडा में एक नाबालिग लड़की के साथ गैंगरेप के मामले में भी यह चिंता ठीक समय पर मानी जा रही है। नोएडा में जहा
कैसे मानें अरविंद केजरीवाल को जिम्मेदार नागरिक ? जनता को मतदान के लिए जागरूक करने के लिए अभियान चला रहे टीम अन्ना के सदस्य अरविंद केजरीवाल खुद मतदान नहीं कर पाए, ऊपर से तुर्रा यह कि मतदाता परिचय पत्र उनके पास है, लेकिन सूची में नाम नहीं है तो वे क्या कर सकते हैं?, जबकि निर्वाचन आयोग की ओर से मतदाता सूची का पुनरीक्षण होने के बाद अनंतिम प्रकाशन और उसके बाद भी लोगों को अपने नाम अंकित कराने और ठीक कराने का मौका मिलता है। ऐसे में अरविंद केजरीवाल जी अपनी जिम्मेदारी से भी बच नहीं सकते। यह भी सभी जानते हैं कि केजरीवाल  पहले ही ऐलान कर चुके थे कि गोवा जाने के कारण मतदान नहीं करेंगे, लेकिन आज पूरी तरह चाट बनाकर खबर बेचने का धंधा करने वाले खबरिया चैनलों ने जब उनको सुबह घेर लिया तो वह मतदान के लिए मजबूरन चले गए, जहां उनको पता चला कि सूची में उनका नाम ही नहीं है। जिस मतदाता फोटो पहचान पत्र को उन्होंने दिखाया, उसपर उनका नाम अरविंद लिखा है, जो नाम ही अधूरा है, ऐसे में उनको अपना नाम भी ठीक कराने के लिए आवेदन करना चाहिए था, लेकिन उन्होंने एक जिम्मेदार और जागरूक नागरिक होने का परिचय नही
केजरीवाल जी जुबान पर लगाम लगाओ ! टीम अन्ना के अहम सदस्य अरविंद केजरीवाल ने ग्रेटर नोएडा में शनिवार को यह कहकर सियासी बवाल पैदा कर दिया कि संसद में हत्यारे, लुटेरे और बलात्कारी बैठे हुए हैं। उनके इस बयान के बाद सभी राजनीतिक दलों ने उनके वक्तव्य पर कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि इससे साफ है कि लोकतंत्र और संविधान में उनका विश्वास नहीं है। तमाम राजनीतिक दलों के आपत्ति करने के बावजूद आज पूरे दिन विभिन्न खबरिया चैनलों पर अरविंद केजरीवाल अपने बयान पर अड़े रहे। केजरीवाल का कहना है कि  ‘ संसद में 163 सदस्यों पर बेहद संगीन मामले दर्ज हैं। इसी संसद में बलात्कारी, हत्यारे और लुटेरे बैठे हैं। ऐसे में देश का भला कैसे होगा ? लोकपाल बिल पास होने की उम्मीद कैसे की जा सकती है।  गरीबी और भ्रष्टाचार से मुक्ति कैसे मिलेगी। अब तो संसद ही समस्या बन गई है। इसके चरित्र को बदलने की जरूरत है। ’ केजरीवाल भ्रष्टाचार के मामले में मंत्रियों के खिलाफ कार्रवाई को भी ड्रामा मानते हैं। यह कार्रवाई सिर्फ वोट बटोरने के उद्देश्य से की जा रही है। वैसे तो जबसे टीम अन्ना के आंदोलन को जब से देश की जनता ने तवज्जों
 STORY Horror gripped the heart of the World War I soldier as he saw his lifelong friend fall in battle. Caught in a trench with continuous gunfire whizzing over his head, the soldier asked his lieutenant if he might go out into the “no man’s land” between the trenches to bring his fallen comrade back.   “You can go,” said the lieutenant, “but i don’t think it will be worth it. Your friend is probably dead and you may throw your life away.” The lieutenant’s advice didn’t matter, and the soldier went anyway. Miraculously he managed to reach his friend, hoist him onto his shoulder and bring him back to their company’s trench. As the two of them tumbled in together to the bottom of the trench, the officer checked the wounded soldier, and then looked kindly at his friend. “I told you it wouldn’t be worth it,” he said. “Your friend is dead and you are mortally wounded.” “It was worth it, though, sir,” said the soldier. “What do you mean; worth it?” responded the Lieutenant.
क्या हो गया मायावती को ? उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री सुश्री मायावती इन दिनों चुनावी दौरे में विभिन्न जनपदों में चुनावी सभा कर रही हैं। पता नहीं दलित की इस बेटी को क्या हो गया है ?, जब से वह पूर्ण बहुमत की सरकार की मुख्यमंत्री बनी हैं, उनको आम जनता से मिलने में दिक्कत होने लगी है। पूरे पांच वर्ष के कार्यकाल में वह जहां भी गईं, वहां कर्फ्यू के से हालात बना दिए गए। रास्तों को बैरिकेडिंग करके सील कर दिया जाता रहा है, लेकिन अब जब चुनावी जनसभाएं हो रही हैं, तब भी वह जनसाधारण की पीड़ा को सुनने के लिए तैयार नहीं हैं। कल वह दिल्ली के ही निकट जिला बागपत में एक जनसभा को संबोधित करने पहुंची थी। इस जनसभा की एक तस्वीर और खबर अखबारों और कुछ खबरिया चैनलों में देखकर मुझे काफी दुख हुआ कि जब मायावती के राज में खुद महिलाओं के साथ ऐसा बर्ताव किया जा रहा है, तो फिर उनसे सभी के लिए न्याय और सम्मान की कैसे  उम्मीद की जा सकती है। इस सभा में    जब मुख्यमंत्री मायावती संबोधित कर रहीं थीं, तभी एक महिला मुख्यमंत्री को ज्ञापन देने के लिए आगे जाने लगी। पुलिस ने उसे रोकना चाहा तो उसने पुलिसकर्मियों स
केंद्र सरकार का अच्छा कदम केंद्र सरकार ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों के खिलाफ होने वाले अत्याचार के मामलों में राहत राशि दिए जाने के प्रावधान में बदलाव करते हुए राहत राशि में बढ़ावा कर दिया है। सरकार का यह फैसला सराहनीय है। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अत्याचार निरोधक संशोधित नियम 2011, 23 दिसंबर 2011 से प्रभावी माना जाएगा, इसके मुताबिक कमाने वाले किसी एससी/एसटी की हत्या के मामलों में मुआवजे की राशि दो लाख से बढ़ाकर पांच लाख रुपये,  बेरोजगार की हत्या के मामले में मुआवजा एक लाख से बढ़़ाकर 2.5 लाख और एससी/एसटी महिलाओं के साथ यौन शोषण के मामलों में मुआवजा 50 हजार रुपये से बढ़ाकर 1.2 लाख रुपये कर दिया गया है। इन नियमों की प्रतियां दलितों में जागरुकता फैलाने वाले एक स्वयंसेवी संगठन द्वारा मीडिया को उपलब्ध कराई गई। इन नियमों में यह भी कहा गया है कि धारा 3(1) भाग-एक से धारा 3(1) भाग-दस तक आने वाले सभी मामलों में राहत राशि 25 हजार रुपये से बढ़ाकर 60 हजार रुपये कर दी गई है। साथ ही सेवा विक्रय संबंधित मामलों में भी मुआवजा 25 हजार की बजाय 50 हजार मिलेगा।
  अब ओमपुरी की नजर में अन्ना भी अनपढ़ गंवार दिल्ली में अन्ना हजारे के आंदोलन के दौरान पूरी संसद को अनपढ़ गंवार बताकर फंसे फिल्म अभिनेता ओमपुरी ने अन्ना हजारे को भी अनपढ़ गंवार बताते हुए चार-छह लोगों के हाथों की कठपुतली बताया है। पंजाब में एक  निजी कार्यक्रम में उन्होंने यह बयान देकर नया बखेड़ा खड़ा किया है।  ओमपुरी के अनुसार अन्ना की अपनी कोई समझ नहीं है। वह तो वही करते हैं जो अरविंद केजरीवाल सरीखे लोग उनसे करवाते हैं। देर से ही सही अन्ना की आरती उतारने वाले लोगों को भी अब असलियत समझ में आने लगी है। वे जानने लगे हैं कि भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन की आड़ में टीम अन्ना का असल खेल कुछ और ही चल रहा है।   
साबित हुई अन्ना हजारे की आएएसएस से साठगांठ  राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने पटना में अन्ना हजारे की चुप्पी पर हैरानी जताते हुए कहा कि न जाने क्यों अन्ना हजारे इस बात को स्वीकार नहीं कर रहे हैं कि उनके द्वारा पिछले साल चलाए गए भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन में संघ कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया था। संघ प्रमुख ने दावा किया कि अन्ना हजारे द्वारा चलाए गए आंदोलन में संघ कार्यकर्ताओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। भागवत ने यह भी कहा कि जब अन्ना हजारे को यह पता है कि आंदोलन के दौरान संघ के कार्यकर्ताओं ने भी उनकी आवाज में आवाज मिलाई थी, तो उन्हें इस बात को सबके सामने कुबूल करने में क्या गुरेज है? भागवत ने जिस तरह दावा किया है कि अन्ना हजारे आरएसएस के कार्यकर्ताओं के आंदोलन में शामिल होने की बात को जानते हैं, इससे स्पष्ट हो गया है कि आरएसएस से इस तथाकथित गांधीवादी नेता अन्ना की साठगांठ है। अब वह यह दिखावा नहीं कर सकते हैं कि उनका या उनके आंदोलन का आरएसएस से कोई संबंध नहीं है।   
राष्ट्रीय बहन -मायावती राष्ट्रीय भाई .. दावूद इब्राहिम राष्ट्रीय रोबोट …मनमोहन सिंह राष्ट्रीय समस्या …मनीष तिवारी राष्ट्रीय चिंता …सलमान की शादी राष्ट्रीय बॉडी गार्ड – जितिन प्रसाद , प्रमोद तिवारी , आरपीएन सिंह राष्ट्रीय रहस्य …सोनिया गांधी राष्ट्रीय गिरगिट … अजित सिंह राष्ट्रीय रथ यात्री …लालकृष्ण आडवाणी राष्ट्रीय चुगलखोर …स्वामी अग्निवेश राष्ट्रीय असंतुष्ट ..मेधा पाटकर राष्ट्रीय स्ट्रगलर …अभिषेक बच्चन राष्ट्रीय भुलक्कड़ …एसएम कृष्णा राष्ट्रीय अतिथि(अस्थाई)..हिना रब्बानी राष्ट्रीय अतिथि (स्थाई)- अजमल कसाब राष्ट्रीय कोयल …मीरा कुमार राष्ट्रीय गहनों की दुकान …बप्पी लहरी राष्ट्रीय गर्लफ्रेंड …दीपिका पादुकोण राष्ट्रीय रईसज़ादा ..सिद्धार्थ माल्या राष्ट्रीय टेलीफोन ऑपरेटर …दिग्विजय सिंह राष्ट्रीय गणितज्ञ …कपिल सिब्बल राष्ट्रीय किसान – अमिताभ बच्चन राष्ट्रीय मसखरा … लालू यादव राष्ट्रीय इंतज़ार …सचिन का सौंवा शतक राष्ट्रीय गाल …शरद पवार राष्ट्रीय थप्पड़ - हरविंदर सिंह राष्ट्रीय ढीला पेंच - अरुंधती राय राष्ट्रीय दहशत …रा वन का सीक्वल राष्ट्रीय गाली …आम आदमी राष्ट
काटजू जी बधाई के पात्र पत्रकारों और उनके हक के लिए प्रेस परिषद के अध्यक्ष जस्टिस मार्केंडय काटजू अपनी नई पहल के लिए बधाई के पात्र हैं। मैं उनको जहां इसके लिए बधाई देता हूं, वहीं उनसे यह भी उम्मीद करता हूं कि वह हमेशा पत्रकारों के हकों के लिए अपनी सजगता दिखाते रहेंगे। नई पहल में प्रेस की आजादी के अतिक्रमण की शिकायतों के मद्देनजर प्रेस परिषद के अध्यक्ष जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने कहा है कि वह जमीनी हालात का जायजा लेने और तथ्यों की जानकारी के लिए उन जगहों पर टीमें भेजेंगे। उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों में प्रेस की आजादी पर खतरा है, लिहाजा टीम उन जगहों पर भेजने का इरादा है, जहां से इस तरह की ज्यादा शिकायतें ज्यादा मिली हैं। प्रेस की आजादी का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। काटजू ने प्रेस परिषद के सदस्यों से भी विचार मांगे हैं। उन्होंने सरकारी एजेंसी और संगठनों द्वारा पत्रकारों या मीडिया प्रतिष्ठानों पर हमले, सरकार की आलोचना करने वाले अखबारों के विज्ञापन रोकने जैसे अन्य हथकंडे अपनाए जाने का भी जिक्र किया है। जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के मुख्य मंत्रियों को इस संबंध
गंगा में कीड़े मैं कुछ दिन उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में रहा। संगम स्नान के लिए गया, लेकिन वहां  गंगा  की दशा देख काफी दुखी हुआ।  वहां  का पानी काफी  गंदा था और उसमें कीड़े रेंग रहे  थे।  मैंने इस दशा के बारे में लोगों से पूछा तो बताया कि इलाहाबाद महानगर की गंदगी भरे सभी नालों का पानी गंगा में डाला जा रहा है, जिससे गंगा की  दशा बद बदतर होती जा  रही है। लोग मान्यता के अनुसार संगम में स्नान के  लिए आस्था लेकर आते जरूर हैं, लेकिन इस दशा को देखकर बिना स्नान किए ही लौट जाते हैं। पिछले दिनों स्वीट्जरलैंड के एक राजनेता के आने की बाबत भी कुछ लोग कह रहे थे कि वह खुद जहां संगम में हिम्मत करके स्नान किए वहीं उनकी पत्नी ने गंगा की दशा पर दुख जताते हुए स्नान करने से मना कर दिया।  समय-समय पर सरकार की ओर से गंगा  को लेकर तमाम अभियान चलाए जाते हैं, लेकिन ऐसे में ये अभियान कभी सफल होंगे, इसकी उम्मीद करना ही बेकार है। मैं हरिद्वार में अक्सर जाता रहता हूं, वहां हर की पौड़ी पर स्नान करके जो असीम शांति मिलती है काश ‌इलाहाबाद के संगम में वह अनुभव हो पाता तो बहुत अच्छा लगता। 
शोक में डूबा लोकतंत्र उत्सव इन दिनों देश के पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब. गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। इस चुनावी दौर में न कहीं शोर-शराबा है और न ही कहीं झंडा बैनर दिखाई दे रहे हैं। वाहनों का भी कहीं पता नहीं चल रहा है। इस माहौल को देखकर लग रहा है कि लोकतंत्र का यह उत्सव शोक में डूबा हुआ है। मैं खुद जहां इन दिनों उत्तर प्रदेश के कई जिलों में घूमा वहीं पंजाब, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा के अपने साथियों से फोन आदि पर संपर्क होने पर वहां के हालात पता लग रहे हैं। चुनाव आयोग की सख्ती ने इस उत्सव को पूरी तरह फीका कर दिया है। प्रत्याशियों का पूरा ध्यान इस बात पर लगा है कि किस तरह आयोग की कार्रवाई से बचा जा सके।
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प्रेस परषिद के अध्यक्ष मार्कंडेय काटजू ने सही कहा जयपुर में एक व्याख्यानमाला को संबोधित करते हुए  भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष मार्कंडेय काटजू ने बिल्कुल सही कहा है कि गरीबी, बेकारी, स्वास्थ्य एवं शिक्षा से जुड़ी समस्याओं से ध्यान हटाने के लिए मीडिया अफीम का काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि धर्म, फिल्म और क्रिकेट की तरह मीडिया भी अफीम की तरह काम कर रहा है, लेकिन यह स्थिति ज्यादा चलने वाली नहीं है। फिल्मी सितारों की छोटी-मोटी हरकतों, हलचलों को मीडिया पहले पन्ने पर स्थान देता है, जबकि गरीबी के कारण मरने वाले किसानों पर उसका ध्यान नहीं जाता। हाल ही में हुए एक फैशन शो का जिक्र करते हुए काटजू ने कहा कि इस शो को 512 मान्यता प्राप्त पत्रकारों ने कवर किया, लेकिन इससे कुछ ही दूर रहने वाले किसानों तथा बुनकरों की बदहाली पर इन पत्रकारों का ध्यान नहीं गया। उन्होंने यह भी कहा कि आज गरीबी, बेकारी और चिकित्सा से जुड़ी कई समस्याएं हैं। चपरासी के एक पद के लिए हजार आवेदन आ जाते हैं। सरकारी अस्पतालों की दुर्दशा से परेशान मरीजों को झोला छाप डॉक्टर ठग रहे हैं, लेकिन मीडिया का ध्यान इसपर नहीं ज
रामदेव के मुंह पर कालिख योग शिक्षक बाबा रामदेव के मुंह पर दिल्ली में प्रेस कान्फ्रेंस के दौरान एक सिरफिरे द्वारा फेंकी गई कालिख की मैं निंदा करता हूं और ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करता हूं, जो सस्ती लोकप्रियता के लिए विशिष्ठ लोगों पर कभी जूता फेंक रहे हैं और कभी हमला कर रहे हैं। बाबा रामदेव का मैं मानता हूं दोहरा चरित्र है। वह भले ही कालेधन और भ्रष्टाचार को लेकर आंदोलन चला रहे हैं, लेकिन वह भी कालेधन और भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे हैं, परंतु इसके बाद भी प्रजातंत्र में सभी को अपनी बात करने का अधिकार है। आपको उनकी बात अच्छी नहीं लगती है तो उनको मत मानिए लेकिन आपको हमला या फिर कालिख फेंकने जैसे अपराध करने का किसने अधिकार दिया है। ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
सुश्री मायावती को जन्मदिन पर बधाई उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री एवं बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष सुश्री मायावती जी को उनके जन्मदिन पर मेरी ओर से हार्दिक बधाई। हमारे राजनीतिक मतभेद हो सकते हैं और रास्ते भी अलग-अलग, लेकिन मुझे इस बात की खुशी है कि डीएस4 के गठन से लेकर और बहुजन समाज पार्टी के शुरूआती दो चुनाव यानि 1989 तक  हमने साथ काम किया। मान्यवर कांशीराम जी का मुझे भी सानिध्य मिला, लेकिन कुछ राजनीतिक मतभेद के चलते हमने अपना अलग रास्ता चुना। इसके बावजूद खुशी है कि हम सभी अपने-अपने रास्ते से बाबा साहेब डा. भीमराव अंबेडकर के ‌मिशन समता मूलक समाज की स्थापना और समाज के अंतिम व्यक्ति को सम्मान के लिए काम कर रहे हैं। ईश्वरीय शक्ति से प्रार्थना करता हूं कि आपको लंबी आयु और स्वस्थ्य रखें ताकि बाबा साहेब का मिशन पूरा करने में आपका सहयोग अंबेडकरवादियों को मिलता रहे।  
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En Español Why is this happening? Will I have to inject insulin? Which symptoms should I watch for? What foods can I eat? What kind of exercise do I need? Where do I start? At the American Diabetes Association, we understand. Many of us had the same questions because many of us are living with diabetes ourselves. Join the Millions who are living with this disease - not just existing with it. Join Living With Type 2 Diabetes, a FREE program to help you or your family members learn to live with diabetes. This free program will send you information and support for 12 months at no cost to you. The program is available in both English and Spanish, and you can choose to receive the information online and by mail. If you'd prefer to sign up by phone, call 1-800-DIABETES (1-800-342-2383). Living with Type 2 Diabetes is a FREE 12-month program for people newly diagnosed with type 2 diabetes. Sign up and here
लोकतंत्र को मजबूत करें  देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव घोषित हो चुके हैं। इस दौरान मेरी सभी से अपील है कि लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए अच्छे ईमानदार और सुशिक्षित उम्मीदवारों को अपना वोट दें। अपराधियों और भ्रष्टाचारियों को कतई वोट न दें,  भले ही ये आपकी विचारधारा वाली किसी पार्टी के प्रत्याशी क्यों न हों। मतदान हर हाल में करें।
चुनाव में बेलगाम पुलिस इन दिनों देश के पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा में विधानसभा चुनाव कराए जा रहे हैं, जिसके लिए आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू है। इस आचार संहिता के नाम पर विशेष रूप से  उत्तर प्रदेश में पुलिस पूरी तरह बेलगाम होकर लोगों का उत्पीड़न कर रही है। लोग अपने साथ नगदी और जेवर ले जा रहे हैं, जिनको  स्रोत बताने के बावजूद जब्त किया जा रहा है। हद तो उस समय हो गई जब नोएडा में एक पेट्रोल पंप पर बिक्री के धन को बैंक में जमा करने से पहले थाने में एंट्री के नाम पर ले जाकर जब्त कर लिया। इस पूरे मामले की सीसी  कैमरे में कैद तस्वीरों को भी पुलिस झुठलाने की कोशिश कर रही है।  आखिर चुनाव आयोग की आदर्श आचार संहिता के नाम पर पुलिस उत्पीड़न और दमनात्मक कार्रवाई करके क्या दिखाना चाहती है? लोकतंत्र में इस तरह की जनता के साथ कार्रवाई तानाशाही का परिचय दे रही है, जिनकी  ‌हर स्तर पर निंदा की जानी चाहिए और उनका विरोध भी करना चाहिए। चुनाव आयोग को भी देखना चाहिए कि उसकी आचार संहिता के पालन के नाम पर कहीं बेलगाम पुलिस अपना धंधा ही शुरू न कर दे!